आधुनिक विकास के लिए बिजली की पर्याप्त उपलब्धता महत्वपूर्ण होती है। इसके अभाव में औद्योगिकरण का सपना साकार नहीं हो सकता। इसके साथ ही ईज ऑफ लिविंग के लिए भी बिजली आवश्यक होती है। केंद्र व उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने इस ओर गंभीरता से ध्यान दिया। इनके कार्यकाल में बिजली उत्पादन बढाने और वैकल्पिक ऊर्जा की दिशा में व्यापक प्रयास किया गए। यूपीए सरकार में कोयला आवंटन में बहुत अनियमितता थी। इससे भी बिजली उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस व्यवस्था को ठीक किया। पारदर्शिता के साथ कोयला आवंटन सुनिश्चित किया। एलईडी बल्ब प्रयोग को बढ़ावा देने का अभियान चलाया।
इससे धन व बिजली दोनों की अप्रत्याशित बचत होने लगी। इसके अलावा सौर ऊर्जा का अभूतपूर्व अभियान चलाया गया। सत्तर वर्षों से बिजली की राह देख रहे सुदूर क्षेत्रों को रोशन किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी विरासत में मिली बदहाल व्यवस्था को सुधारा। विधानसभा चुनाव में यह भी एक मुद्दा है। पिछली सरकारों के समय बिजली की किल्लत को लोग भूले नहीं है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी का फ्री बिजली पानी के वादे ने जादुई असर दिखाया था।
अरविंद केजरीवाल की चुनावी सफलता में यह सबसे बड़ा कारक बना था। इसके बाद अनेक पार्टियों ने इस आसन तरीके को अपनाया। इसके पहले ऐसे वादों ने कई राज्यों में असर दिखाया था। ऐसे वादे करने वाले दलों को सफलता तो मिली,लेकिन इनके अमल से वहां की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। क्योंकि इन वादों पर खर्च होने वाली धनराशि की भरपाई अन्यत्र से ही करनी होती है। गरीबों वंचितों व जरूरतमंदों की सहायता करना सरकार की जिम्मेदारी होती है। ऐसी व्यवस्था परिस्थिति काल के अनुरूप की जाती है। किंतु मात्र चुनावी लाभ के लिये ऐसा करना उचित नहीं हो सकता। उत्तर प्रदेश में भी आम आदमी पार्टी ने कई महीने पहले फ्री बिजली का विषय उठाया था। यहाँ आप सांसद संजय सिंह बिल्कुल केजरीवाल के अंदाज में राजनीति कर रहे थे। उन्होंने दो सौ यूनिट फ्री बिजली का वादा किया। इसके अलावा केजरीवाल की ही तरह वह पुख्ता प्रमाणों के बिना दूसरों पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगा रहे थे।
सपा ने इस मुद्दे को लपका। उन्होंने आप को पीछे छोड़ते हुए तीन सौ यूनिट फ्री विजली का वादा किया। इससे मतदाता कितना प्रभावित होंगे यह तो अभी देखना होगा। लेकिन उत्तर प्रदेश की तुलना दिल्ली से नहीं हो सकती। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसानों को बहत्तर हजार रुपये वार्षिक देने का वादा किया था। यह मोदी सरकार द्वारा दी जा रही किसान सम्मान निधि के जबाब में किया गया था। जिसमें किसानों को बीज उपकरण खाद आदि के लिए छह हजार रुपये वार्षिक दिए जाते है। कांग्रेस ने इतनी धनराशि प्रतिमाह देने का वादा किया था। इसके बाद भी किसान कांग्रेस से प्रभावित नहीं हुए। उत्तर प्रदेश में इस समय कानून व्यवस्था का मुद्दा सर्वाधिक प्रभावी है।
इस आधार पर पिछली व वर्तमान सरकार की तुलना भी चल रही है। फ्री बिजली आदि का मुद्दा इसके बाद आता है। इसके अलावा पिछली व वर्तमान सरकार के समय बिजली की उपलब्धता भी एक मुद्दा है। पहले बिजली की बेहिसाब कटोती से जन जीवन प्रभावित रहता था।
मुख्यमंत्री व बिजली मंत्री के क्षेत्र अति विशिष्ट माने जाते थे। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस परम्परा को समाप्त किया। जिला तहसील व गांव तक विजली आपूर्ति की व्यवस्था बिना भेद भाव के की गई। अघोषित बिजली की अघोषित कटौती से निजात मिली। योगी सरकार के सुशासन से यहां ईज आफ लिविंग बेहतर हुई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पैंतालीस से अधिक गरीबों को आवास दिए गए। इन सभी आवासों में बिजली की व्यवस्था की गई। इसी प्रकार एक करोड़ अड़तीस लाख घरों में निःशुल्क विद्युत कनेक्शन दिए गए हैं।आज प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर चौबीस घण्टे, तहसील मुख्यालय कारीब बाइस घण्टे, ग्रामीण क्षेत्र में सोलह से सत्रह घण्टे बिजली आपूर्ति दी जा रही है।
आने वाले समय में पूरे प्रदेश में चौबीस घण्टे विद्युत आपूर्ति देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा था कि पिछली सरकार में उत्तर प्रदेश का विद्युत विभाग तिहत्तर हजार करोड़ रुपये घाटे में था। उस समय बिजली की उचित आपूर्ति व्यवस्था भी नहीं थी। बिजली विभाग का घाटा अवश्य बढा है,किंतु वर्तमान सरकार ने पर्याप्त आपूर्ति की व्यवस्था की है। प्रदेश के सभी गांव घर तक बिजली कनेक्शन पहुंचाया जा चुका है। पिछली सरकार के दौरान बिजली दरों में साठ प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हुई थी। विगत पांच वर्षों में पच्चीस प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।