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लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद के चुनाव में अध्यक्ष पद पर दिखी कांटे की टक्कर, चुनाव की सुचिता पर प्रत्याशी ने उठाया सवाल

खनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद (Lucknow University Staff Council) के नवीन कार्यकारिणी के चुनाव में कुल 1295 मत पड़े। मगर अध्यक्ष पद पर केवल 1292 मतों की ही गणना की गई। अध्यक्ष पद पर हार और जीत में केवल एक वोट का ही अंतर रहा। जबकि तीन मतपत्रों की गणना न होने से चुनाव की वैधानिकता पर भी उठा प्रश्न।

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तीन मत पत्रों की अद्यतन स्थिति की जानकारी चुनाव अधिकारी द्वारा नहीं दी गई कि उक्त तीन मत पत्रों में मतदान किस प्रत्याशी के पक्ष में किया गया। चुनाव अधिकारी इसकी जानकारी देने से बचते रहे। जबकि परिषद के सविधान में उल्लिखित है कि केवल कर्मचारी ही चुनाव में भाग ले सकता है, इसका अनुपालन नहीं किया गया। सेवा निर्वित्त कर्मियों को चुनाव में मतदान करने हेतु मान्यता दी गई। मेरे द्वारा लिखित रूप से दिए गए प्रत्यावेदन पर चुनाव अधिकारी व विश्वविद्यालय अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई गई।

लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद

ज्ञातव्य हो की लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद के नवीन कार्यकारिणी का चुनाव दिनांक 29 अप्रैल 2023 को मतदान के माध्यम से किया गया था। उक्त चुनाव में 1295 कर्मियों ने मतदान किया था। जिसमें 1295 कर्मियों ने अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष, संगठन मंत्री, कोषाध्यक्ष, मंत्री, प्रचार मंत्री एवं सदस्य पद के प्रत्याशियों को अपना वोट दिया था। लेकिन अध्यक्ष पद पर सभी वैध और अवैध मतों की गणना केवल 1292 की गई, शेष तीन मत पत्रों की नहीं। तीन मत किस प्रत्याशी के पक्ष में पड़े इसकी जानकारी चुनाव अधिकारी द्वारा अभी तक नहीं दी गई।

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अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रिंकू राय ने बताया, मतगणना के उपरांत औपचारिक घोषणा से पूर्व बार-बार मेरे द्वारा चुनाव अधिकारी से मौखिक रूप से यह अनुरोध किया गया उक्त तीन पत्रों की अद्यतन स्थिति से अवगत कराएं कि उक्त तीन पत्रों में मतदान किस प्रत्याशी के पक्ष में किया गया है। लेकिन 24 घंटा वबीत जाने के पश्चात भी चुनाव अधिकारी द्वारा इसकी लिखित रूप से जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई है कि जब कुल 1295 मत पड़े तो अध्यक्ष पद पर केवल 1292 ही क्यों गणना की गई है।

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रिंकू राय ने आरोप लगाते हुए कहा, चूंकि अध्यक्ष पद पर हार जीत का अंतर 01 ही वोट है, ऐसी स्थिति में चुनाव अधिकारी को स्पष्ट करना चाहिए कि उक्त तीन मत पत्रों में मतदान किसके पक्ष में कर्मचारियों ने किया और वह मतपत्र कहाँ और किस स्थिति में हैं। वहीं नियमानुसार सेवा निर्वित्त कर्मचारी मतदान नहीं कर सकता है फिर भी सेवा निर्वित्त कर्मियों को मतदान हेतु अनुमति प्रदान की गई। मेरे द्वारा इसकी लिखित रूप से जानकारी भी चुनाव अधिकारी को दी गई है, जिसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने चुनाव अधिकारी से अपील है कि अधिकारिक रूप से चुनाव में अध्यक्ष पद पर निर्वाचन की घोषणा तब तक न की जाए जब तक तीन मतों की गणना न हो जाये।

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