पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन स्वयं में शिक्षाप्रद रहा है। उनके जीवन से विद्यार्थी बहुत कुछ सीख सकते है। वह अभाव में रहे,संघर्ष किया,लेकिन अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। प्रबल इच्छाशक्ति के बल पर वह महान वैज्ञानिक बने। भारत को सामरिक रूप से मजबूत बनाने में उन्होंने योगदान दिया। उनकी देश सेवा से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रपति पद हेतु उनका नाम प्रस्तावित किया था। राष्ट्रपति भवन में भी उनका अध्ययन व शोध चलता रहा। शैक्षणिक व्याख्यान देते समय ही उनका निधन भी हुआ था।
इस प्रकार आजीवन वह कर्तव्य पथ पर चलते रहे। उनके व्यक्तित्व कृतित्व से प्रेरणा लेने के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कलाम डिजिटल स्कूल का ऑनलाइन शुभारम्भ किया। उनकी नवासवीं जयन्ती के अवसर पर राज्यपाल ने डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम सेन्टर द्वारा लखनऊ में शुरू किये जा रहे कलाम किचन का ऑनलाइन शुभारम्भ किया। कलाम किचन उनकी सहायता करेगा जिनकी आय में कोरोना महामारी के कारण कमी आई है। यह किचन अगले दो महीने तक दस हजार से भी अधिक लोगों की मदद मासिक राशन किट प्रदान करेगा। कलाम डिजिटल स्कूल के माध्यम से विद्यार्थी निःशुक्ल एनिमेशन द्वारा शिक्षा ग्रहण करेंगे।
इस अवसर पर आनंदीबेन पटेल ने कहा कि भारत रत्न डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम देश के लिये सपने देखते थे। देश को अंतरिक्ष में पहुंचाने और मिसाइल क्षमता से लैस करने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने अपने को सदैव एक शिक्षक ही माना। वह ज्ञान आधारित समाज का सपना देखते थे। डाॅ अब्दुल कलाम ऐसे राष्ट्र नायक थे,जिन्होंने अपने कार्यों और विचारों से न केवल लोगों को प्रेरित किया, बल्कि युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हुए असम्भव को भी सम्भव कर दिखाने की प्रेरणा दी। उनकी दी हुई शिक्षाओं को हमारे युवाओं को आत्मसात करने की जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि आज डाॅ कलाम के सकारात्मक कार्य करते रहने की प्रवृत्ति को युवाओं को अपने जीवन से जोड़ने की जरूरत है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में प्रत्येक नागरिक की विशेष भूमिका है।