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ISRO लॉन्चपैड-1 से OceanSat सैटेलाइट करेगा लॉन्च, भारत के लिए है ख़ास दिन

अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज का दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) थोड़ी देर बाद चेन्नई से 115 किलोमीटर दूर श्रीहरीकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्चपैड-1 से OceanSat #सैटेलाइट लॉन्च करेगा। ये लॉन्चिंग पीएसएलवी-एक्सएल (PSLV-XL) रॉकेट से की जाएगी। इस दौरान ओशनसैट के साथ कुल 9 सैटेलाइट्स लॉन्च किए जाएंगे।

इस लॉन्च में रॉकेट का प्राथमिक पेलोड एक ओशनसैट है जिसे कक्षा-1 में अलग किया जाएगा जबकि आठ अन्य नैनो-सैटेलाइट्स को आवश्यकताओं के आधार पर अलग-अलग कक्षाओं में रखा जाएगा। पेलोड सहित नौ सैटेलाइट्स 44.4 मीटर ऊंचे पीएसएलवी-सी54 पर सवार होंगे। ये पीएसएलवी-एक्सएल वर्जन की 24वीं उड़ान है।

यह मिशन इसरो के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए सबसे लंबे मिशनों में से एक होगा, जो #पीएसएलवी-सी54 लॉन्च व्हिकल में इस्तेमाल होने वाले टू-ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (OCT) का यूज करके ऑर्बिट को बदलने के लिए रॉकेट को शामिल करेगा। अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट के अलग होने की उम्मीद ऑर्बिट-1 में होगी जबकि यात्री पेलोड को ऑर्बिट-2 में अलग किया जाएगा।

लॉन्चिंग के करीब 20 मिनट बाद लगभग 742 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट के स्थापित होने की उम्मीद है। प्राइमरी सैटेलाइट के अलग होने के बाद, पहले पैसेंजर सैटेलाइट को रखने के लिए यान को 516 किमी की ऊंचाई तक ले जाने के लिए उतारा जाएगा। इसरो ने कहा कि अंतिम पेलोड 528 किमी की ऊंचाई पर अलग होने की उम्मीद है।

अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-6 ओशनसैट श्रृंखला में तीसरी पीढ़ी का सैटेलाइट है। पेलोड में भूटान के लिए इसरो नैनो सैटेलाइट-2 (आईएनएस-2बी) शामिल है, जिसमें नैनोएमएक्स और एपीआरएस-डिजिपीटर नाम के दो पेलोड होंगे। नैनो एमएक्स #अंतरिक्ष उपयोग केंद्र द्वारा विकसित एक मल्टीस्पेक्ट्रल ऑप्टिकल इमेजिंग पेलोड है, जबकि एपीआरएस-डिजिपीटर पेलोड संयुक्त रूप से सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग, भूटान और यू आर राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है।

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