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केजीएमयू की गौरवशाली परम्‍परा

लखनऊ के केजीएमयू का इतिहास गौरवशाली रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वयं इसका उल्लेख किया। उन्‍होंने कहा कि केजीएमयू ने गंभीर चुनौतियों के बीच एक गौरवशाली परम्‍परा स्‍थापित की है। संस्‍थान में 1911 में शिक्षा आरम्‍भ होने के बाद पहला दशक गंभीर चुनौतियों से भरा हुआ था,1916 में पहली बार निकले बैच के लोग विषम परिस्थितियों में प्रथम विश्‍व युद्ध में विभिन्‍न मोर्चों पर चिकित्‍सा प्रदान करने के लिए तैनात कर दिये गये। इसके बाद 1918 में वैश्विक महामारी स्‍पैनिश फ्लू आयी इससे सबसे ज्‍यादा मौतें भारत में हुई थीं,यहां इकतीस करोड़ लोगों में सवा से डेढ़ करोड़ की मौत हो गयी थी। जबकि पूरी दुनिया में लगभग पांच करोड़ की मौत हुई थी। 1911 से 1921 के बीच का ही एकमात्र दशक ऐसा है जिसमें जनसंख्‍या में कमी दर्ज की गयी।

 

महापुरुषों के नाम का स्मरण

राष्ट्रपति ने देश के महापुरुषों का स्मरण किया। कहा कि केजीएमयू के गांधी मेमोरियल एवं सम्‍बद्ध चिकित्‍सालय,कस्‍तूरबा चेस्‍ट हॉस्पिटल,सरदार पटेल ब्‍वॉयज हॉस्‍टल, कलाम सेंटर और अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफि‍क कन्‍वेंशन सेंटर जैसे भवन हमारे महान विभूतियों के आदर्शों की याद दिलाते हैं। राष्ट्रपति ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में वर्चुअल सम्बोधन दिया। कहा कि केजीएमयू के कई पूर्व छात्र कई दशकों से देश विदेश के चिकित्‍सा संस्‍थानों के उच्‍चतम पदों को सुशोभित करते हुए अपना उल्‍लेखनीय योगदान देते रहे हैं। यहां के पूर्व छात्रों ने देश की मेडिकल एजूकेशन में प्रभावशाली नेतृत्‍व दिया है। यहां के छात्र रह चुके चिकित्‍सकों में एक पद्म विभूषण,छह पद्म भूषण, अट्ठाइस पद्मश्री और पैतालीस बीसी राय पुरस्‍कार से सम्‍मानित डॉक्‍टर भी शामिल हैं।

क्‍योर इन इंडिया

राष्ट्रपति ने कहा है कि देश का हेल्‍थ सेक्‍टर क्‍योर इन इंडिया का सन्देश देने वाला बने। अट्ठावन स्‍पेशियलिटी से युक्‍त केजीएमयू में प्राइमरी डेटा पर आधारित इंटर डिस्पिलिनरी और मल्‍टी डिस्पिलिनरी रिसर्च की अपार संभावनायें हैं। विद्यार्थियों में प्रारम्‍भ से ही शोध की मानसिकता विकसित करनी चाहिये।अमेरिका में हर सातवां डॉक्‍टर भारतीय मूल का है। अमेरिका के निवासी भारतीय डॉक्‍टर पर बहुत भरोसा करता है। अन्‍य कई विकसित देशों में भी ऐसा ही सम्‍मान प्राप्‍त होता है।

कोविड़ 19 से बचाव

केंद्र और राज्‍य सरकारों द्वारा समय रहते उचित कदम उठाये जाने से कोविड़ महामारी पर यथासंभव नियंत्रण रखा जा सका है। राष्ट्रपति ने कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्‍य उत्‍तर प्रदेश में कोविड की जांच,चिकित्‍सा और रोकथाम में केजीएमयू ने भी असाधारण योगदान दिया है। उन्‍होंने कहा कि मुझे बताया गया कि सिर्फ केजीएमयू में ही अब तक लगभग नौ लाख सेम्‍पल के टेस्‍ट हो चुके हैं।

राष्ट्रपति भवन में जार्जियन

उन्होंने बताया कि राष्‍ट्रपति के स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल की कमान भी जॉर्जियन के हाथ में है।
उन्‍होंने कहा कि मेरे स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल के साथ-साथ राष्‍ट्रपति भवन परिवार के स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल भी केजीएमयू के पूर्व छात्र के सक्षम हाथों में है। राष्ट्रपति ने केजीएमयू जैसे सभी संस्‍थानों के सभी डॉक्‍टरों,नर्सों एवं अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों को सभी देशवासियों की ओर विशेष धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने कहा कि कोरोना से लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धाओें ने सराहनीय भूमिका निभायी है,अनेक कोविड योद्धाओं ने अपनी जान भी गंवाई है। देश इन बलिदानियों का सदैव ऋणी रहेगा।

समावेशी भारत नारीशक्ति

राष्ट्रपति ने बालिकाओं की शिक्षा बल दिया। कहा कि समावेशी भारत के निर्माण में उनका योगदान अपरिहार्य है। प्रोफेशनल शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी समाज में हो रहे बदलाव और विकास का प्र‍तिबिम्‍ब है। उन्‍होंने कहा कि मैंने देखा कि केजीएमयू पहले बैच के इकतीस विद्यार्थियों की सूची में मात्र दो छात्रायें थीं। उन्‍होंने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी है कि आज चवालीस पदक विजेताओं में से इक्कीस बेटियां हैं। जो लगभग पचास प्रतिशत हैं।

राज्यपाल ने दिया सेवा सन्देश

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल दीक्षांत समारोह में शामिल हुई। उन्होंने कहा चिकित्सा पढ़ाई पर सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर रही है। अतः आपको अपनी शिक्षा का उपयोग समयबद्धता एवं गुणवत्ता के साथ समाज के लिये करना चाहिये। समाज आपको भरपूर सम्मान देता है। जिस प्रकार शिक्षक का व्यवहार बच्चे के लिये उसका प्रतिबिम्ब होता है,उसी प्रकार प्रत्येक मरीज चिकित्सक में भगवान का रूप देखता है। आप सभी को करूणा एवं संवेदनशीलता के साथ बिना किसी भेदभाव के चिकित्सा सेवा देना चाहिये। उन्होंने चिकित्सकों तथा डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों से आह्वान किया कि सभी कम से कम एक क्षय रोग ग्रसित बच्चे को गोद लें तथा देखभाल करें।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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