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Khun Khun Ji Girls PG College: हिन्दी साहित्य व सिनेमा में अवध की भूमिका विषयक संगोष्ठी संपन्न

साहित्य और सिनेमा की सभी विधाओं की शुरुवात अवध की भूमि से हुआ : प्रोफेसर शैलेंद्र नाथ मिश्रा

लखनऊ। खुन खुन जी गर्ल्स पीजी कॉलेज (Khun Khun Ji Girls PG College) में बुधवार को हिन्दी विभाग एवं उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित ‘हिंदी साहित्य व सिनेमा में अवध की भूमिका’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (Seminar on the Role of Awadh in Hindi Literature and Cinema Concluded) का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का प्रारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर सतीश द्विवेदी ने ऑनलाइन संबोधित किया।

संगोष्ठी में ऑनलाइन जुड़े प्रोफेसर सतीश द्विवेदी निवर्तमान मंत्री बेसिक शिक्षा ने अपने वक्तव्य मे कहा कि अवध के साहित्य के बिना हिन्दी सिनेमा अधूरा हैँ। साहित्य के शब्द सिनेमा के दृश्यों के माध्यम से समाज तक पहुँच जाते हैँ।

वक्ता प्रोफेसर शैलेंद्र नाथ मिश्रा विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज गोंडा ने कहा कि हिन्दी साहित्य के विकास में अवध का महत्पूर्ण योगदान हैँ। नाटक, कहानी, उपन्यास, व्याकरण, सूफ़ी सभी विधाओं का प्रारम्भ और विकास अवध की भूमि से शुरू हुआ है। श्री मिश्रा ने कहा कि अवधी समय और स्थान की भाषा हैँ, उन्होंने अवधी भाषा के चार स्वरूपों की चर्चा की।

उद्घाटन सत्र के विशिष्ट वक्ता राम बहादुर मिश्रा अध्यक्ष अवध भारती संस्थान केने कहा कि अवधी भाषा ना केवल अवध में अपितु विश्व के विभिन्न देशों जैसे थाईलैंड, सुरीनाम, नेपाल और मारीशस में भी अपना वर्चस्व बनाने में कामयाब रही है। उन्होंने कई फिल्मो ( नदिया के पार, पाकीजा) के माध्यम से अवधी भाषा के महत्व को बताया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रही पद्मश्री विद्या विन्दु ने विभिन्न कहानियों एवं लोकगीतो के माध्यम से अवध, उसकी विशिष्टता और उसके संस्कारो की चर्चा की।

विशेष सत्र जो कि फिल्म और साहित्य के अंत: सम्बन्ध पर आधारित सत्र था इसके अंतर्गत मुख्य वक्ता डॉ मीनू खरे आकाशवाणी लखनऊ ने विभिन्न साहित्यकारों एवं रचनाकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भगवती चरण वर्मा के उपन्यास चित्रलेखा एवं अमृत लाल नागर के बूंद और समुद्र की विशेषताओ से परिचित कराया। डॉ मीनू खरे ने कहा कि इन रचनाओं ने नवाबी दौर से ब्रिटिश काल तक के सामाजिक परिवर्तन को दर्शाया है । उन्होंने भगवती चरण वर्मा उपन्यास चित्रलेखा की उन लाइनो पर प्रकाश डाला कि पाप और पुण्य का निर्धारण परिस्थिति के द्वारा होता हैँ जो आज के लिए बहुत प्रासंगिक है।

विशेष सत्र की विशिष्ट वक्ता डॉक्टर नीरा जलक्षत्रि (लेखिका व फ़िल्म निर्माता ) ने अपने वक्तव्य में फ़िल्म मेकिंग के वारे में विस्तार से बताया और 2 शार्ट फ़िल्म द बिगनिग, द लास्ट लेटर दिखाई. उन्होंने कहा कि अवध के साहित्य का सिनेमा की भाषा को सुधारने में महत्व पूर्ण योगदान रहा।

विशेष सत्र की अध्यक्षता कर रहे अनिल रस्तोगी (रंगकर्मी एवं फिल्मकार) ने अपने कार्य के अनुभव साझा किये और कैसे फिल्मो में अवध की क्या भूमिका हैँ उसका रेखांकन किया। साहित्य और सिनेमा के अंत: सम्बन्धों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अब अवधी या अन्य बोलियों पर फिल्म बनाने में सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।

तकनीकी सत्र का क्रियान्वयन ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया गया। ऑनलाइन माध्यम की अध्यक्षता डॉक्टर अजीत प्रियदर्शी डीएवी कॉलेज लखनऊ एवं सह अध्यक्षता डॉ प्रणव मिश्रा केकेवी कॉलेज ने की जिसमें 56 शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया तथा ऑफलाइन माध्यम की अध्यक्षता अवधेश मिश्रा क्राइस्ट चर्च कॉलेज ने एवं सह अध्यक्षता डॉ मंजुला यादव जिसमें 15 शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। शोध छात्र मनीष को सर्वश्रेष्ठ शोध वाचक का सम्मान मिला।

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समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर हरिशंकर मिश्रा साहित्यमहोपाध्याय सेवानिवृत हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय ने बताया कि अवध के साहित्य का सिनेमा के साथ साथ संस्कृति, प्रकृति विज्ञान तथा मानवता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है।

समापन सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर पवन अग्रवाल हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय सभापति भारती हिंदी परिषद प्रयागराज ने कहा कि अवध क्षेत्र अपनी संस्कृति, कलाओं, साहित्य, वास्तुकला आदि के लिए चर्चित रहा है यहां की गंगा -जमुनी संस्कृति धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण है सिनेमा और साहित्य में अवध के ऐतिहासिक स्थल, संगीत और संस्कृति दिखाई पड़ते हैं। उन्होने अवध एवं उसके साहित्य पर चर्चा की।

संगोष्ठी का संयोजन हिन्दी विभाग की प्रवक्ता डॉ शालिनी शुक्ला ने एवं आयोजन प्राचार्या डॉ अंशु केडिया ने किया। संगोष्ठी को सम्पूर्ण कराने में समस्त टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ का सहयोग रहा।

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