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बच्चे की किडनी फेल हो सकती है, जानते हैं इसके बारे में

जन्म के साथ ही बच्चे को यूरिन में इंफेक्शन (संक्रमण) की समस्या उसके लिए कठिन खड़ी कर सकती है. संक्रमण की वजह से बच्चे के यूरिनरी ब्लैडर का वॉल्व बेकार हो जाता है. वॉल्व का कार्य यूरिन को कंट्रोल करना  रिलीज करना होता है. वॉल्व बेकार होने से यूरिन अंदर ही अंदर रिसता है  यूरिन ब्लैडर से यूरेटर में आने की बजाए रिफ्लक्स होकर किडनी की तरफ उल्टा चढ़ने लगता है. ऐसे में बच्चे की किडनी में संक्रमण होने का खतरा 90 प्रतिशत बढ़ जाता है. बच्चे को लंबे समय से यूरिन में इंफेक्शन की समस्या है तो जल्द से जल्द उसका उपचार कराना चाहिए. लंबे समय तक समस्या को नजरअंदाज करने पर बच्चे की किडनी फेल हो सकती है. जानते हैं इसके बारे में :-

विकास पर पड़ता है असर
यूरिन इंफेक्शन की वजह से बच्चे के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है. कुछ बच्चों में इससे उनकी ग्रोथ पूरी तरह रुक जाती है. ऐसे में इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चे की हाइट पर पड़ता है. संक्रमण के कारण बच्चे को भूख भी नहीं लगती है  धीरे-धीरे उसकी स्वास्थ्य तेजी से गिरती है.

इन लक्षणों को पहचानें
यूरिन इंफेक्शन के कारण बच्चे को पेशाब में जलन  पेट में दर्द की शिकायत रहती है. गंभीर स्थिति में बच्चा बार-बार अपने जननांगों पर हाथ मारता है. उसे बार-बार यूरिन आने का अहसास होता है. 100 में से 15 बच्चों को होती है जन्मजात रिफलक्स की समस्या जिसकी वजह संक्रमण होता है.

लेप्रोस्कोप से अच्छा करते हैं समस्या
जिनमें वॉल्व संबंधी कोई परेशानी पाई जाती है तो उनमें उपचार के रूप में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है. इसमें पेशाब की थैली में दूरबीन डालने के लिए तीन नलियों का रास्ता पेट के निचले हिस्से में बनाते हैं. एक से कैमरा, अन्य से सर्जरी पोर्ट डालते हैं. स्क्रीन पर देखते हुए ब्लैडर के पास वॉल्व के विकृत हिस्से तक पहुंचकर बेकार वॉल्व को काटकर रिपेयर करते हैं. कई बार ब्लैडर के कुछ हिस्से को काटकर नया वॉल्व बनाकर लगाते हैं जिसे मेडिकली री-इंप्लांटेशन कहते हैं. इसके बाद समस्या पूरी तरह अच्छा हो सकती है. रोबोटिक सर्जरी भी संभव है.

ठीक होने के बाद दोबारा नहीं होती
रिफलक्स की समस्या यदि एक बार अच्छा जाए तो दोबारा होने की संभावना एक प्रतिशत रह जाती है. उन एक प्रतिशत बच्चों में किडनी बेकार होने की स्थिति में यह समस्या दोबारा पैदा होती है. हाई ब्लड प्रेशर से भी इसका खतरा अधिक रहता है.क्योंकि ब्लड प्रेशर में असंतुलन से सबसे ज्यादा क्षति किडनी को पहुंचती है. हालांकि ऐसे में किडनी बेकार होने की नौबत कम आती है क्योंकि ज्यादातर मामलों में बच्चे में यूरिन संबंधी तकलीफ के लक्षणों को देखकर समय पर ही पहचान कर ली जाती है.

यूरो-नेफ्रो करते इलाज
जिन बच्चों में यूरिन इंफेक्शन से वॉल्व में खराबी का पता देर से चलता है उनमें किडनी को नुकसान का खतरा भी रहता है. यदि किडनी डैमेज हो गई है तो यूरोलॉजी  नेफ्रोलॉजी एक्सपर्ट एकसाथ उपचार करते हैं जिससे बच्चे की किडनी और ब्लैडर को नुकसान से बचाया जा सके. यूरिन की समस्या अच्छा हाने के बाद यूरिन में प्रोटीन (सफेद द्रव्य) के साथ शरीर में सूजन आ रही है तो नेफ्रोटिक सिंड्रोम का खतरा रहता है. इसका उपचार तुरंत लें.

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