पिछले छह वर्षो के दौरान चुनाव परिणामों पर विपक्ष की प्रतिक्रिया दिलचस्प रही है। यदि उन्हें विजय मिली तो वाह वाह,हाईकमान का करिश्मा। पराजित हुए तो ईवीएम पर ठीकरा। वैसे यह मुद्दा आमजन को कभी प्रभावित नहीं कर सका। इसके बाद भी विपक्ष ने इसका पीछा नहीं छोड़ा। लेकिन अब विपक्ष के ही अनेक नेता पराजय के लिए हाईकमान को आत्मचिंतन की सलाह देते रहे है।
कांग्रेस व राजद नेताओं के बयानों ने ईवीएम गड़बड़ी संबन्धी आरोपों की हवा निकाल दी है। इनके कथन का निहितार्थ यह है कि बिहार व उपचुनावों में पराजय के लिए नेतृत्व को आत्मचिन्तन करना चाहिए। अंतर यह है कि कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने पार्टी नेतृत्व को नसीहत दी, जबकि राजद नेता शिवानन्द तिवारी ने अपनी पार्टी का तो बचाव किया। उनके आरोप भी कांग्रेस नेतृत्व पर थे। यह सही है कि इन नसीहतों का नेतृत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन इन बयानों के बाद ईवीएम का मुद्दा पूरी तरह महत्वहीन हो गया।
महागठबन्धन की पराजय उसकी कमजोरी के चलते हुई है। कपिल सिब्बल ने कहा कि देश के लोग कांग्रेस को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं। विहार चुनाव व अन्य प्रदेशों के उपचुनाव से प्रमाणित हो चुका है। गुजरात उपचुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को दो प्रतिशत से भी कम वोट मिले।
कपिल सिब्बल भी हकीकत जानते है। उन्होंने कहा कि यदि छह सालों में कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे करें। कांग्रेस में कमजोरियां है।सांगठनिक तौर पर समस्या है। लेकिन समाधान की कोई इच्छाशक्ति नहीं है।
कांग्रेस ने हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियती मान ली है। बिहार कांग्रेस के तारीक अनवर ने भी कहा कि बिहार चुनाव परिणाम पर पार्टी के अंदर मंथन होना चाहिए। शिवानंद तिवारी ने कहा कि कांग्रेस देशभर में अपने गठबंधन सहयोगियों पर बोझ बनती जा रही है। उसकी वजह से हर जगह गठबंधन का खेल खराब हो रहा है। राहुल गांधी के मुद्दों से लोग प्रभावित भी नहीं हुए। वह कह रहे थे कि बिहार में मजदूरों और किसानों की सरकार लानी है।
लेकिन किसी ने विश्वास नहीं किया। क्योंकि कांग्रेस ने ऐसा कोई उदाहरण ही प्रस्तुत नहीं किया। राहुल गांधी ने कहा कि आपका पैसा छीना। यह भी किसी ने नहीं माना। राहुल समझा रहे थे कि अंबानी और अडानी के लिए रास्ता साफ किया जा रहा है।
आने वाले समय में आपके खेत आपसे छीन लिए जाएंगे और दो तीन पूंजिपतियों के हाथ में चला जाएगा। इस प्रकार की बेतुकी बातों को लोगों ने नकार दिया। राहुल पिछले छह वर्षो से एक जैसा भाषण दे रहे है। प्रदेश का चुनाव हो या कुछ और,उनका निशाना केवल नरेंद्र मोदी पर रहता है। जबकि आमजन के बीच मोदी की विश्वसनीयता बेजोड़ है।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री