लखनऊ। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा महान पंजाबी इनसाइक्लोपीडिया के रचयिता व पंजाबी भाषा के महान विद्वान कान्ह सिंह नाभा की 161 वी जयंती को समर्पित सम्मान समारोह गोष्टी प्रेस क्लब लखनऊ में सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। जिसमें लखनऊ एवं लखनऊ के निकटवर्ती क्षेत्रों से पंजाबी लेखक, कवियों, रंग कर्मियों, संगीतकारों, कवि शायरो एवं पंजाबी भाषा के शिक्षण प्रशिक्षण में लगे महानुभावों को सादर सम्मानित किया गया।
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेंद्र सिंह बग्गा ने पंजाबी समुदाय की जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर पंजाबी भाषा को उत्तर प्रदेश में उर्दू के समान राज्य भाषा बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव एवं अध्यक्ष गुरुद्वारा सदर हरपाल सिंह जग्गी ने अवगत कराया कि भाई कान सिंह नाभा को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ साथ हुए विचार-विमर्श में आवश्यकता महसूस की गई कि पंजाबी भाषा के प्रचार एवम प्रसार के दायित्व हेतु गठित उत्तरप्रदेश सरकार भाषा विभाग के अंतर्गत उत्तरप्रदेश पंजाबी अकादमी के उपाध्यक्ष का दायित्व किसी सुयोग्य हाथो में, (जिन्हें पूर्व में पंजाबी भाषा व संस्कृति के प्रचार प्रसार का अनुभव हो) दिया जाए एवम पंजाबी साहित्कारों एवम लेखकों को वरीयता दी जाए।
उत्तरप्रदेश पंजाबी बाहुल्य प्रदेश है, इस लिए अत्यंत आवश्यक है कि प्रदेश के विश्व विद्यालयों में पंजाबी पाठ्यक्रम को लागू किया जाए।बता दें कि उत्तरप्रदेश सरकार के अंतर्गत माध्यमिक विद्यालयों जहा पर पंजाबी शिक्षक के पद रिक्त है उसे शीघ्र भरा जाए, उत्तर प्रदेश पंजाबी साहित्य से जुड़े महानुभावों को लेखकों को कवियों को राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया जाए एवं उनको भाषा व संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनके सहयोग के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाए।
सरदार सतपाल सिंह प्रवक्ता लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अवगत कराया कि आगरा स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा ‘गुरु का ताल’ जहां पर साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी को सन 1675 में मानव अधिकारों की रक्षा हेतु आवाज़ उठाने पर इस स्थान पर गिरफ्तार किया गया था और कुछ समय आगरा में ही इस स्थान पर कैद कर के रखा गया था यह स्थान राष्टीय धरोहर है। इस स्थान पर सिख इतिहास एवम पंजाबी संस्कृति से सम्बंधित संग्रहालय खोला जाए उल्लेखनीय है कि इस स्थान से ही साहिब गुरुतेगबहादुर साहिब जी को दिल्ली ले जा कर चादनी चौक पर शहीद किया गया था। इस कड़ी में उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को ज्ञापन भी सौंपा जा रहा है। जिसमे इतिहास एवम संस्कृति के उत्थान हेतु अपना पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान काफी समय से लंबित मांगो के प्रति आकृष्ट कराया है। मुख्यमंत्री से इन मांगों के निस्तारण हेतु निवेदन भी किया गया है।
प्रवक्ता ने अवगत कराया कि इस सम्मान समारोह में इंजीनियर नरिंदर सिंह मोंगा, सत्येन्द्रपाल् सिंह, दविंदर पाल सिंह बग्गा, दविंदर सिंह, मनमोहन सिंह मोनी डॉ मेजर मनमीत कौर, रंगमंच से आत्म जीत सिंह मनमोहन सिंह तन्हा लेखक, जगदीश कौर कवयित्री प्रयागराज से डॉ दलबीर सिंह कानपुर , रजिंदर सिंह नीता कानपुर से, सुरिंदेतपाल सिंह (सम्पादक रूहानी संदेश) कानपुर, अजीत सिंह लेखक लखनऊ से बीबी इंदरजीत कौर लखनऊ से, सुखचैन सिंह कविशर सीतापुर से, सरब जीत सिंह बख्शीश लखनऊ से अवध कलीजिट की प्राचार्या जितेंद्र वालिया, हरपाल सिंह गुलाटी लखनऊ से, हरमिंदर सिंह मंदी लखनऊ से तरलोक सिंह बहल मनमोहन सिंह बहल लखनऊ से यश भारती संम्मानित देवेंद्र सिंह शास्त्रीय संगीत शिक्षक एवम गायक लखनऊ से एवम पंजाबी अकादमी के जनसपंर्क अधिकारी अरविंद मिश्रा को मुख्य रूप से संम्मानित किया गया।
वरिष्ठ पंजाबी लेखक एवम दार्शनिक नरेंद्र सिंह मोंगा ने अवगत कराया कि साहित्कारों को सम्मान एवम पुरस्कार दे कर प्रोहत्साहित किया जाए तथा उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के विभिन्न पदों पर अन्य अकादमियों, संस्थानो की भांति सहित्यकरो को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाए। उत्तरप्रदेश पंजाबी अकादमी में सचिव के पद का सृजन भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का आयोजन किसी धार्मिक संस्था द्वारा पहली बार कराया जा रहा है।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी