Breaking News

प्रेम

प्रेम बजाज, जगाधरी (यमुनानगर)

प्रेम

आंखों से प्यार और ज़ुबां से इनकार करते हो
क्यूं ये ज़ुल्म मुझ पर यार हर बार करते हो।
मोहब्बत का मेरी तुझे एहसास हो या ना हो
क्यूं बेपर्दा मेरे असरार भरे बाज़ार करते हो।

छुने लगी हैं तेरी यादें अब तो बुलंदियों को
सच बताना क्या तुम भी मुझे याद करते हो।
तोड़ कर कलियां बागों से देते थे रक़ीबो को
क्या अब भी दिल तोड़ कर बर्बाद करते हो।
रखी है पंखुड़ियां गुलाब की तुम्हारी यादों सी ताज़ा
क्या तुम भी कभी “प्रेम” को दिल से याद करते हो।

प्रेम बजाज

About Samar Saleel

Check Also

BLF Awards 2025 : शॉर्टलिस्ट हुईं किताबें, 23 फरवरी को दिल्ली में होगी घोषणा

वाराणसी। बनारस लिट फेस्ट (Banaras Lit Fest) ने अवार्ड्स के लिए हिंदी और अंग्रेजी में ...