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Tag Archives: प्रेम बजाज

रिश्तों की अहमियत

रिश्तों की अहमियत मात-पिता के रिश्ते की जो ना जाने कद्र वो कुलांगार है, सच्चा रिश्ता वो होता है जो रिश्तों की माला करता कण्ठागार है। रिश्तों को रखें उलझाए हर पल जो वो रिश्तों का कसूरवार है, कभी हद से बढ़ जाती उलझन रिश्तों में तो लगता कारागार है। ...

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शिक्षक

शिक्षक गुरू ब्रह्मा, गुरू विष्णु, गुरू देवो महेश्वर: गुरू साक्षात् पारब्रह्मा, तस्मै श्री गुरूवे नमः मात-पिता की मुरत आप हो इश्वर की सुरत आप हो। कोरा कागज़ होता मन हमारा, उस पर ज्ञान का पाठ लिखाते आप हो। जब सब दरवाज़े बंद हो जाते, नया रास्ता आप दिखाते। सदाबहार फूलों ...

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ज़माने की ठोकरें

प्रेम बजाज, जगाधरी (यमुनानगर)

ज़माने की ठोकरें हूं बहुत नर्म, लेकिन कभी पत्थर भी बना देती है ज़माने की ठोकरें। बहुत सरल, सीधा, भोला हूं मैं, लेकिन चालाक बना गई ज़माने की ठोकरें। बहुत प्यार लुटाता हूं सब पर, प्यार का खज़ाना रखता हूं दिल में,  लेकिन कभी नफरत भी सिखा देती है ज़माने ...

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प्रेम

प्रेम बजाज, जगाधरी (यमुनानगर)

प्रेम आंखों से प्यार और ज़ुबां से इनकार करते हो क्यूं ये ज़ुल्म मुझ पर यार हर बार करते हो। मोहब्बत का मेरी तुझे एहसास हो या ना हो क्यूं बेपर्दा मेरे असरार भरे बाज़ार करते हो। छुने लगी हैं तेरी यादें अब तो बुलंदियों को सच बताना क्या तुम ...

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बिन फेरे हम तेरे

कहने में और सुनने में कुछ अजीब लगता है, लेकिन ये भी एक सच्चा रिश्ता है ,दिल का रिश्ता है। जब दिल से दिल जुड़ जाता है ,तो चाहे हम साथ-साथ ना रहे, लेकिन हमे एक दूसरे की फिक्र होती है, एक दूसरे के प्रति लगाव होता है, इसी को ...

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मां

प्रेम बजाज, जगाधरी (यमुनानगर)

मां क्या तुलना उस मां की सुरज- चांद – सितारों से गंगा से ,जमुना से , समुद्र से या नदियां हज़ारों से । मां की ममता का कोई मोल नहीं , दुनियां में इसके बराबर दुनियां में कोई मीठा बोल नहीं । सुख का सागर है मां , प्यार की ...

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