महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद इनकम टैक्स विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने गुरुवार को बताया कि बृहन्मुंबई नगर निगम के लिए काम कर रहे सिविल ठेकेदारों ने 735 करोड़ रुपए की कथित अनियमितताएं की हैं। CBDT आयकर विभाग के लिए नीति-निर्माण का काम करती है। मुंबई और सूरत में 6 नवंबर को एंट्री प्रोवाइडरों और लाभार्थियों के 44 ठिकानों पर खोज और सर्वेक्षण अभियान शुरू किया गया था, जो मुख्य रूप से बीएमसी में सिविल अनुबंधों के काम करने में लगे हैं। BMC देश के सबसे अमीर नगर निगमों में से एक है।
विभाग ने कहा कि छापे के दौरान एकत्र किए गए सबूतों से पता चलता है कि, बड़े पैमाने पर कर चोरी और धन शोधन किया गया है। सूत्रों ने कहा कि कुछ बीएमसी अधिकारियों के परिसर में भी आई-टी के लोगों ने सर्वेक्षण किया। आयकर विभाग ने एक बयान में कहा, ‘एंट्री प्रदाताओं और लाभार्थियों पर छापे मारे गए, जो मुख्य रूप से बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में सिविल कॉन्ट्रैक्ट्स के तौर काम करते हैं।’ ऐसी रिपोर्टें थीं कि कुछ ठेकेदारों ने एंट्री प्रोवाइडर से ऋण आदि के रूप में एंट्री ली थी और आय को कम दिखाने के लिए खातों के पासबुक में खर्च भी बढ़ा हुआ दर्शाया था।
कर निकाय ने कहा, ‘अब तक 735 करोड़ रुपये की अनियमितता का पता चला है और आवास प्रविष्टियों की मात्रा निर्धारित की जा रही है। साथ ही बड़े पैमाने पर कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े सबूत पाए गए हैं’। निकाय ने यह भी कहा कि इस ऑपरेशन में ‘दूसरों के बीच ऋण या बिल के रूप में व्यवसायों को प्रविष्टियां देने के लिए फर्जी कंपनियों (एंट्री प्रोवाइडर द्वारा मंगाई गई) के उपयोग का भी पता चला है।
सीबीटीटी ने कहा, ‘एंट्री प्रोवाइडर्स के मामले में, बैंक फ्रॉड और फर्जीवाड़े के व्यवस्थित तरीके का पता लगाया गया है, इसके तहत प्रमोटरों ने बैंक लोन की रकम निकालकर समूह की कंपनियों की अचल संपत्तियों और शेयरों में निवेश किया है’। बयान में दावा किया गया है कि ठेकेदार समूहों के मामले में फर्जी खरीद/उप-अनुबंधों और प्रवेश प्रदाताओं से ऋण लेकर खर्चों की मुद्रास्फीति करने के बारे में कई उदाहरणों की पहचान की गई है। सीबीडीटी ने कहा कि शेष लाभार्थियों की पहचान करने के साथ-साथ अभी जांच जारी है।