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महिषासुरमर्दिनि

महिषासुरमर्दिनि

मातृ रूप शक्ति रूप
दिव्य रूप जननी
दीनन पर दया करो
महिषासुरमर्दनी।

भटक रहे निराधार
आशंकित मन विचार
सम्बल कोई मिले
नैया तब लगे पार।

व्यथित जन की पुकार
करुणा से तार तार
विनती है बार बार
कृपा करो जननी
महिषासुरमर्दनी।।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
          डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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