नई दिल्ली (शाश्वत तिवारी)। साहित्य जगत के सबसे बड़े कथाकार (Greatest Storyteller of Literary World) मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) की प्रसिद्ध कहानी ’कफन’ (Famous Story ‘Kafan’) गरीबी, असमानता और मानवीय मूल्यों के पठन को बढ़ी मार्मिकता से उजागर करती है। आर्ट्स न्यू वे ऑर्गेनाइजेशन द्वारा मित्र रंगमंच फिल्म एंड थियेटर स्टूडिओ, मधु विहार दिल्ली में कुलदीप वशिष्ठ के निर्देशन में ’कफन’ का सफल मंचन (Successfully Staged) किया गया।
कफन एक चरित्र तथा वातावरण प्रधान कहानी है, जिसमें सामाजिक चेतना को जगाने का प्रयत्न किया गया है। जीवन एवं समाज की कुरीतियों और असंगतियों का चित्रण करते हुए उन्होंने व्यंग्यात्मक आधात भी निष्ठुरता से किया है। कफ़न की कहानी आज भी कई सारी जगहों पर देखने को मिल जाती है। इस जातिवादी समाज में आज भी ऐसी जगहें हैं, जहां दलितों को जलाने के लिए श्मशान नहीं मिलते। उनके श्मशान अलग कर दिए जाते हैं। न जाने कितनी बस्तियां हैं जिनके यहां खाने-पीने का सामान सवर्णों की बस्ती से आता है। दलितों का कार्य केवल गंदगी उठाने या मल साफ़ करना है, जिसके बदले में उन्हें चंद रूपए दिए जाते हैं जिससे किसी तरह जिंदगी बसर कर सके।
आज भी समाज में कितने ही माधव हैं जो बस दुआ करते हैं कि सवर्णों के घरों में कोई त्योहार हो और हमें रबड़ी खाने को मिले। समाज में फैली कुरीतियां और जातिवाद पर कठोर प्रहार करता कफन नाटक को जीवंत करने में कलाकारों ने बड़ी भूमिका निभाई।
आर्ट्स न्यू वे ऑर्गेनाइजेशन के महासचिव, वरिष्ठ राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता रिजवान रजा ने कहा कि कलाकारों को एक बेहतर मंच प्रदान करें ताकि उनकी प्रतिभा निखर कर सामने आए। रिजवान रजा ने नाटक के मंचन के दौरान उपस्थित होकर कलाकारों का हौसला बढ़ाया और कलाकारों और मेहमानों का परंपरागत शॉल व अंगवस्त्र देकर स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में संवेदनशीलता तेजी से बढ़ी है, आपसी वैमनस्य और भाईचारे में कमी आई है। ऐसे में मुंशी प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकार, कथाकार की रचनाओं के जरिए समाज में जहां अमन-चैन का संदेश दिया जा सकता है, वहीं लोगों में सकारात्मकता का संचार भी किया जा सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भविष्य में भी इसी प्रकार बेहतर साहित्य और रचनाओं पर नाटकीय मंचन किया जाएगा।
नाटक के मंचीय कलाकारों में अकबर, रितिका शर्मा, निशा शर्मा, समीर शकील, कौशल कुमार, ब्रिज नुक्ता, मोनीदीप, गौरव काकरान, गौरव एवं सुनील कुमार ने अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। अपनी निर्देशकीय कौशल से निर्देशक कुलदीप वशिष्ठ दर्शकों तक कहानी की संवेदना एवं मूल कथ्य पहुंचाने में सफल रहे हैं।