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यादगार होली

नीतू शादी के बाद जब पहली बार ससुराल आई तो उसे क्या पता था कि उसका पति एक महीना रह कर विदेश चला जाएगा। अभी हाथ की मेंहदी भी नहीं सुखी थी और पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा उसका पति उसे छोड़ कर दुबई चला गया। नीतू को उसकी सास हमेशा समझाती की बहू तू किसी बात की चिन्ता मत करना यह घर अब तुम्हारा है। इस घर की तुम बड़ी बहू हो। नीतू सास की बात की कोई जवाब नहीं दे पाती उसे तो अपने पति विकी की बराबर याद आती रहती थी।

दुबई से अक्सर विकी अपनी पत्नी से हाल चाल पूछ लेता था। और बार बार यही कहता कि नीतू बस तीन साल की बात है। अब मैं तीन साल बाद फिर तुमको अकेले छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा। तुम अपना और मां का पुरा ख्याल रखना विकी नीतू को समझा बुझा कर फोन काट देता था। तीन साल कैसे गुजर गया नीतू को पता नहीं चला। इन तीन सालों में नीतू ने मन से न दीवाली मनाई न होली मनाई। इस साल होली पर एक दिन नीतू अपनी सास से बोली सासु मां अगर आप कहें तो मैं अपने भाई को बुला कर मैके चली जाऊं।

यादगार होली

इस साल भाई बहन और भाभी के साथ होली मनाने का मन कर रहा है। बहू तू जब जी चाहे अपने मैके जा सकती हो। मैं कभी नहीं रोकुंगी मगर बहू इस साल होली के एक सप्ताह पहले विकी बेटा दुबई से कमा कर घर आ रहा है। इस साल तू अपने पति के साथ खूब होली मनाना समझी। क्या सचमुच मेरे पति घर आ रहे हैं। इस बारे में हमें कभी नहीं बताया विकी ने!

बहू मैने उसे मना कर दिया था। घर आने की खबर बहू को मत देना। सासु मां की बात सुनकर नीतू मैके जाने की अपनी जिद छोड़ दी और विकी के आने का इंतजार करने लगी। नीतू अपने पति के आने की खबर सुनकर बहुत खुश थी। और मन ही मन होली मनाने की खुशी बढ़ती जा रही थी। एक रोज नीतू कीचन में खाना बना रही थी तभी उसके देवर अमन ने आ कर खबर दी भाभी भाभी चलो बाहर देखो कौन आया है। देवर जी आप तो हमेशा हमसे मजाक ही करते रहते हैं। बता दीजिए न कौन आया है।

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मेरे भैया तो नहीं आए हैं? भाभी जी आप को पता है न कौन आने वाला है फिर बुझवनी क्यों बुझा रही हैं। जानती है मेरे भैया दुबई से आए हैं। विकी के आने की बात सुन कर नीतू गैस बंद कर के अपने पति को देखने के लिए कीचन से बाहर निकल कर अपने पति से मिलने चल दी। घर के बाहर विकी को देखने के लिए गांव के बहुत सारे औरत पुरुष बच्चे जमा हो गए थे।

विकी अपने साथ चार बड़े बड़े बैग में समान भर के लाया था जिसे अमन ने टैक्सी से उतार कर घर में रख दिया। विकी ने सबसे पहले अपनी मां और पिता के पैर छुए और नीतू का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में जाने लगा। कमरे में पहुँच कर नीतू ने अपने पति से बोल पड़ी आप ने हमें अपने आने की खबर क्यों नहीं दिया।

यादगार होली

तुम इस बात से नाराज हो क्या? नहीं नहीं मैं क्यों नाराज आप रहूंगी बस यूं ही पूछ लिया। खैर छोड़िए इन बातों को बताइए तीन साल आप दुबई में कैसे रहे? मैं तो एक दम ठीक से रहा और तुम कैसे रही? मैं भी ठीक से रही। अच्छा बताओ इस साल हम दोनों की होली कैसी रहेगी। बहुत यादगार रहेगी। इस साल तो मैं तीन साल की होली आप के साथ मनाऊंगी। आप को खूब रंग और अबीर गुलाल लगाऊंगी और आप को रंगों से खूब नहलाऊंगी। बस बस तुम इस साल हमारे साथ खूब जी भर के होली मनाना और सारे अरमानों को पुरी कर लेना।

होली के दिन घर में तरह तरह के पकवान और मीट बना कर नीतू ने रख दिया ताकी दोपहर को अपने पति के साथ जी भर के होली मना सके। नीतू का पति अमन बाहर चबुतरे पर बैठा गांव के लोगों के साथ होली खेल रहा था। तभी नीतू ने एक बाल्टी पानी में खूब चटक रंग धोल कर पिछे से अमन के उपर गिरा कर बोल पड़ी बुरा न मानों होली है।

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अमन भी कहां रंग गुलाल अबीर लगाने से मानने वाला था, उसने तुरंत मुठ्ठी भर अबीर गुलाल ले कर नीतू के गालों पर पोत कर बोल पड़ा बुरा न मनों होली होली। नीतू ने पति देवर और सास ननद के साथ खूब होली खेली और सबको रंग और अबीर गुलाल लगा कर इस होली को यादगार होली बना लिया।

    बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

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