रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमार पुतिन की भारत यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम मिला है। वस्तुतः उनकी यात्रा भारतीय विदेश नीति की दृढ़ता व स्वाभिमान का प्रमाण है। दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण रक्षा करार प्रक्रिया चल रही थी। अमेरिका ने इस पर अपरोक्ष आपत्ति जताई थी। लेकिन भारत ने उसके तर्क को नजरअंदाज किया। भारत ने स्पष्ट कहा कि वह संप्रभु राष्ट्र है। अपनी रक्षा आवश्यकताओं को समझता है। इसके अनुरूप ही वह निर्णय ले रहा है। इसका किसी अन्य देश से संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ऐसे में किसी तीसरे पक्ष को इस पर टिप्पणी की आवश्यकता नहीं है। विगत कुछ वर्षों में भारत व अमेरिका के रिश्ते भी मजबूत हुए है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाईडेन भी द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ा रहे है। विदेश नीति में राष्ट्रीय तत्व स्थायी होता है। भारत ने इसके अनुरूप ही निर्णय लिया।
चीन व पाकिस्तान की आतंकी जुगलबंदी पहले से चल रही है। ऐसे में रूस का रुख महत्वपूर्ण हो गया था। पुतिन की यात्रा का यह बड़ा सन्देश है कि वह भारतीय हितों के प्रतिकूल कोई कार्य नहीं करेगा। इसके साथ ही दोनों देशों की सामरिक साझेदारी आगे बढ़ी है। उनकी यात्रा से दोनों देशों कु परंपरागत मैत्री को ताजगी मिली है। इस दृष्टि से नई दिल्ली में नरेंद्र मोदी व पुतिन की शिखर वार्ता उपयोगी रही। इसके पहले दोनों देशों के रक्षा व विदेश मंत्री सामरिक सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए थे। मोदी और पुतिन की शिखरवार्ता के पहले दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों ने द्विपक्षीय और टू प्लस टू वार्ता की थी। रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत और रूस सैन्य सहयोग समझौते को अगले दस वर्षों के लिए बढ़ाने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
अत्याधुनिक एके-203 राइफलों के भारत में निर्माण संबंधी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों के बीच कुल अट्ठाइस समझौतों और करारों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। रूस के सदूर पूर्व क्षेत्र में तेल और गैस की परियोजनाओं में भारत के भारी निवेश को ध्यान में रखते हुए व्लादिवोस्टॉक में भारत का वाणिज्यिक दूतावास के लिए भूमि आवंटन संबंधी प्रोटोकॉल भी हस्ताक्षर किए गए हैं।
दोनों देशों ने सीमापार आतंकवाद, अफगानिस्तान के घटनाक्रम और कोरोना महामारी से लड़ने के उपायों के संबंध में द्विपक्षीय सहयोग पर विचार विमर्श किया। शिखरवार्ता के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि चुनौतियों के बावजूद भारत और रूस के संबंधों की रफ्तार में कोई बदलाव नहीं आया है। समय के साथ हमारी विशेष रणनीतिक साझेदारी निरंतर मजबूत हो रही है। अनेक क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत और रूस का एक जैसा मत है। पिछले कई दशकों में वैश्विक स्तर पर कई मूलभूत बदलाव आए हैं। कई तरह के भू-रणनीतिक समीकरण उभरे हैं किन्तु इन सभी कारकों के बीच भारत-रूस मित्रता में निरंतरता रही है। दोनों देशों ने परस्पर सहयोग जारी रखा है।
कोरोना कालखंड के दो वर्षों में पुतिन की यह दूसरी विदेश यात्रा है। यह भारत के प्रति उनके लगाव और निजी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। वर्ष 2021 द्विपक्षीय संबंधों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस वर्ष 1971 की भारत रूस मैत्री संधि के पांच दशक और हमारी रणनीतिक साझेदारी के दो दशक पूरे हो रहे हैं।
रणनीतिक साझेदारी आगे बढ़ रही है। ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम और व्लादिवोस्टॉक शिखर सम्मलेन से शुरू हुई क्षेत्रीय साझेदारी आज रूसी सुदूर पूर्व और भारत के राज्यों के बीच वास्तविक सहयोग में बदल रही है। आर्थिक साझेदारी भी बढ़ रही है। 2025 तक तीस अरब डॉलर व्यापार और पचास अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत साझा विकास और साझा उत्पादन से रक्षा सहयोग और मजबूत हो रहा है। अंतरिक्ष और असैन्य परमाणु क्षेत्रों में भी सहयोग आगे बढ़ रहा है। गुटनिरपेक्ष समूह में ऑब्जर्वर और हिन्द महासागर रिम एसोसिएशन में संवाद साझीदार बनने के लिए रूस का रुख भारत के लिए सकारात्मक है। दो वर्ष पूर्व ब्रासीलिया के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी व पुतिन द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए थे। इसके पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु से वार्ता की थी।
सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की बैठक भी महत्वपूर्ण रही। वार्ता के दौरान छोटे हथियारों और सैन्य सहयोग से संबंधित कई समझौतों,अनुबंधों, प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए। रूसी रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगु के साथ रक्षा सहयोग पर उपयोगी और पर्याप्त द्विपक्षीय चर्चा हुई है। कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है जिनमें समय से पांचों अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल सिस्टम की सप्लाई सुनिश्चित करने और इसी माह आने वाली दो प्रणालियों की तैनाती में प्रभावी तरीके से मदद पहुंचाना आदि शामिल हैं।
भारत ने रूस के साथ पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपये में सौदा किया था। भारतीय वायुसेना को एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट फ्लाइट मिलनी हैं। हर फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं। हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं। इसके अलावा रूसी असॉल्ट राइफल एके-203 डील को अंतिम रूप देने पर भी वार्ता हुई। भारतने पुतिन की भारत यात्रा से दो दिन पहले भारत में एके-203 राइफलों का निर्माण करने को मंजूरी दी थी। रूस के सहयोग से उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में पांच लाख से अधिक इन असॉल्ट राइफलों का उत्पादन किया जाएगा।