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देश का अमृत महोत्सव सन्देश

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
  डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसके विविध आयाम है। स्वतन्त्रता संग्राम के अनेक उपेक्षित प्रंसग उजागर हो रहे है। नई पीढ़ी को नई नई जानकारी मिल रही है। पिछले दिनों अमृत महोत्सव के जनजातीय अध्याय का भी शुभारंभ किया गया था। पहली बार जनजातीय दिवस मनाने का निर्णय किया गया। इसमें एक और प्रसंग शामिल हुआ। लखनऊ में सोनचिरैया संस्था इसको अभिव्यक्त कर रही है। स्वतन्त्रता संग्राम में लोक कलाकारों ने भी अपने अपने ढंग से योगदान दिया था। लोक कला के माध्यम से वह देश भक्ति की प्रेरणा दे रहे थे। राज्यपाल आनन्दी बेन ने कहा कि अमृत महोत्सव का यह वर्ष जन जन की चेतना को स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष की महान गाथाओं, महापुरूषों की स्मृतियों एवं उनकी मूल प्रेरणाओं से जोड़ने का अवसर है।

जिन महानायकों ने आजादी के संघर्ष को आगे बढ़ाया आज उन्हें नमन करने का समय है। आजादी के अमृत महोत्सव को हमें एक समारोह तक सीमित नहीं रखना है अपितु एक ऐसे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर अग्रसर होना है जहाँ सुविधाओं का स्तर गाँवों और शहरों में विभाजन न करे। आनंदीबेन पटेल ने गोमती नगर स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क में आयोजित तीन दिवसीय भारत की लोक कलाओं का अमृत महोत्सव ‘देशज का उद्घाटन  किया।

इस महोत्सव का आयोजन भारतीय लोक कलाओं का संरक्षण एवं संवर्द्धन करने वाली संस्था सोनचिरैया द्वारा किया गया है। राज्यपाल ने कहा कि लोक कलाओं के संरक्षण,संवर्द्धन के साथ उसको नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए प्रचार प्रसार की जरूरत है। लोक कलाओं में हमारी परम्पराएं जीवन्त हैं। ऐसे आयोजन लोक कलाओं के संवर्धन में महत्वपूर्ण है। लोक कलाओं के निरंतर विकास में गुरुओं का महत्वपूर्ण स्थान है।

संस्था की सचिव तथा प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने बताया कि यह महोत्सव सोनचिरैया संस्था के दस वर्ष पूर्ण होने के अवसर को अविस्मरणीय बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। इस लोक महोत्सव को भारत के स्वाधीनता संग्राम में लोक कलाकारों का योगदान की विषय वस्तु पर केंद्रित किया गया है।

इस तीन दिवसीय महोत्सव के उद्घाटन समारोह में मथुरा के कलाकार संजय शर्मा और उनकी टीम की प्रस्तुतियां,पद्मश्री सम्मान प्राप्त राजस्थानी कलाकार अनवर खान की गायकी तथा महाराष्ट्र की लोक नृत्य शैली लावणी और पुणे की लावणी कलाकार रेशमा और उनके दल की प्रस्तुति,ओडिशा राज्य का पारंपरिक नृत्य गोट्टिपुआ,उत्तर प्रदेश का पाई-डंडा,राई फरवाही, करमा चरकुला और धोबिया नृत्य तथा गुजरात का प्रसिद्ध गरबा नृत्य की विहंगम प्रस्तुतियां हुई। मालिनी अवस्थी ने स्वयं लोक गीतों के साथ स्वर मिलाते हुए वन्दे मातरम की भावपूर्ण प्रस्तुति की।

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