अधिक से अधिक संख्या में कुष्ठ रोग के संभावित रोगियों की पहचान की जाएगी। नए कुष्ठ रोगियों की ऑनलाइन इंट्री की जाएगी। जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ विशाल अग्निहोत्री ने बताया कि जिले में इस समय 62 कुष्ठ रोगियों का इलाज किया जा रहा है ।इसके अलावा अप्रैल 2021 से अब तक 83 कुष्ठ पीड़ित मरीजों को स्वस्थ किया गया है।
- Published by- @MrAnshulGaurav, Written by- Shiv Pratap Singh Sengar
- Friday, 04 Febraury, 2022
औरैया। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले भर में कुष्ठ रोगियों की खोज की जा रही है । इसके लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों का अलग-अलग माइक्रोप्लान तैयार किया गया है। कार्यक्रम के अंतर्गत कुष्ठ रोग उन्मूलन को लेकर ‘सघन कुष्ठ रोगी की खोज, नियमित निगरानी और गतिविधियाँ’ को 16 मार्च तक जनपद में संचालित किया जा रहा है।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. शिशिर पुरी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत, 1624 टीमें नए कुष्ठ रोगियों की खोज करेंगी और उनका एमडीटी से उपचार कराया जाएगा। इसके साथ ही पुराने कुष्ठ रोगियों को स्वरक्षा अभ्यास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होने कहा कि पुराने कुष्ठ रोगियों के बीच एमसीआर चप्पल और पीओडी किट उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि कुष्ठ रोगियों को दिव्यांगता से बचाया जा सके।
डॉ पुरी ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मी अपने क्षेत्र में कुष्ठ के संभावित रोगियों की पहचान कर रहे हैं। उसके बाद संभावित मरीज को संबंधित प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र में बुलाया जाएगा, जहाँ, उनका उपचार किया जाएगा। स्वास्थ्य कर्मियों को रोग के पहचान के बारे में प्रशिक्षण भी दिया गया है। उन्हें परिवार की हिस्ट्री और पहचान करने के लिए लक्षण के बारे में जानकारी दी गई है।
उन्होंने बताया कि अधिक से अधिक संख्या में कुष्ठ रोग के संभावित रोगियों की पहचान की जाएगी। नए कुष्ठ रोगियों की ऑनलाइन इंट्री की जाएगी। जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ विशाल अग्निहोत्री ने बताया कि जिले में इस समय 62 कुष्ठ रोगियों का इलाज किया जा रहा है ।इसके अलावा अप्रैल 2021 से अब तक 83 कुष्ठ पीड़ित मरीजों को स्वस्थ किया गया है।
कुष्ठ रोग के लक्षण-
कुष्ठ रोग के दौरान शरीर पर सफेद चकत्ते यानि निशान पड़ने लगते हैं। यह निशान सुन्न होते हैं, इनमें किसी तरह का एहसास नहीं होता है। अगर इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो दर्द का अहसास नहीं होगा। कुष्ठ रोग के मरीज को शरीर के विभिन्न अंगों और खासतौर पर हाथ-पैर में ठंडे या गर्म मौसम और वस्तु का अहसास नहीं होता है। प्रभावित अंगों में चोट लगने, जलने या कटने का भी पता नहीं चलता है, जिससे यह बीमारी अधिक गंभीर रूप लेने लगती है और शरीर को गलाने लगती है।
कुष्ठ रोग दो तरह का होता है –
पोसीवेस्लरी कुष्ठ रोग – शरीर पर पाँच या उससे कम दाग हों तो उसे इस श्रेणी में डाला जाता है| इस रोग में इन्फेक्शन कम होता है और इसका इलाज छह माह में पूरा हो जाता है|
मल्टीवेस्लरी कुष्ठ रोग – शरीर पर पाँच से अधिक धब्बे होने पर उसे इस श्रेणी में रखा जाता है| यह नस को भी प्रभावित करता है, जिससे नस में मोटापन या कड़ापन आता है| इसका इलाज 12 माह चलता है|