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राष्ट्रीय परिवेश की शिक्षा नीति

प्रयागराज के ईश्वर शरण कॉलेज का इतिहास गौरवशाली रहा है। क्योंकि इसके साथ महात्मा गांधी का नाम सवर्ण अच्छर से जुड़ा है। वस्तुतःइसकी स्थापना के पीछे महात्मा गांधी की ही प्रेरणा थी। उन्होंने सामाजिक समरसता के लिए अस्पृश्यता आंदोलन चलाया था। वह सभी में एक ही जीवात्मा का निवास मानते थे। इस आंदोलन से प्रभावित होकर मुंशी ईश्वर शरण ने यहां हरिजन आश्रम की स्थापना की थी।

महात्मा गांधी यहां दो बार आये थे। इसी के साथ वह लोगों को जागरूक भी बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने शिक्षा को माध्यम बनाया। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु ईश्वर शरण इंटर कॉलेज, बालिका इंटर कॉलेज व विकास विद्यालय तथा उन्नीस सौ सत्तर में ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज की स्थापना हुई। ईश्वर शरण आश्रम के नाम से प्रतिष्ठित यह स्थान विनोवा भावे के भूदान आंदोलन का भी केंद्र रहा है। स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के भी यहां जमावड़ा होता था।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन लखनऊ से ईश्वर शरण डिग्री कालेज के स्वर्ण जयन्ती समारोह को आनलाइन सम्बोधित किया।राज्यपाल ने महाविद्यालय की गोल्डन जुबिली स्मारिका का विमोचन किया। साथ ही प्रो प्रमिला श्रीवास्तव परिसर का उद्घाटन एवं प्रतिमा का अनावरण किया। इसके अलावा लर्निंग मैनेजमेन्ट सिस्टम अविरल का उद्घाटन किया। आनन्दी बेन ने कहा कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्वगुरू था। उस समय विज्ञान, सामाजिक शिक्षा,नैतिक शिक्षा प्रमुख रूप से पढ़ाई जाती थी। लेकिन ब्रिटिशकाल में अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था ने पुरानी शिक्षा व्यवस्था को नष्ट कर दिया गया।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उददेश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो भारत की परम्परा, विरासत,सांस्कृतिक मूल्यों एवं तकनीकी ज्ञान तथा कौशल विकास में समन्वय स्थापित करे। इसलिए इस नीति में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संकल्पना समाज की आवश्यकता तथा विद्यार्थियों की रचनात्मक सोच, तार्किकता एवं नवाचार की भावना पर आधारित है।

राज्यपाल ने कहा कि बच्चों को रूचिकर और संस्कारी शिक्षा प्राप्त हो यही नई शिक्षा नीति का मुख्य उददेश्य है। बच्चों की बुनियादी शिक्षा उसकी मातृभाषा में होगी। जिससे बच्चे आसानी एवं शीघ्रता से सीख सकेंगे। शिक्षा से बच्चों में देशप्रेम, सेवाभाव,नैतिकता और सत्यता का बोध जागृत होना चाहिए। कुलाधिपति ने विश्वास व्यक्त कि नई शिक्षा नीति के पूरी तरह से क्रियान्वयन के बाद देश के शिक्षा जगत में दूरगामी सकारात्मक परिणाम होंगे।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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