चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधान परिषद की 9 खाली सीटों पर 21 मई को चुनाव कराने की घोषणा की थी, लेकिन विधान परिषद् के सभी 9 सीटों पर सदस्यों के निर्विरोध चुने जाने के बाद अब चुनाव की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.
बताया जा रहा है कि चुनाव से अपना नाम वापस लेने की समयसीमा 14 मई तक थी. जिसके बाद अतिरिक्त 3 उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिये हैं. जिसके बाद अब मैदान में सिर्फ 9 प्रत्याशी ही रह गए थे. इसी वजह से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को निर्विरोध रूप से महाराष्ट्र विधान परिषद का सदस्य चुन लिया गया है.
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी इसी वजह से उन्हें विधानसभा या विधान परिषद दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य चुना जाना जरूरी हो गया था. क्योंकि 6 महीने की समयसीमा खत्म होने वाली थी. जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र की विधान परिषद में जो 9 सदस्य निर्विरोध चुने गए हैं उनमें शिवसेना के दो, एनसीपी के दो, कांग्रेस का एक और बीजेपी के चार सदस्य शामिल हैं. शिवसेना की तरफ से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और नीलम गोरहे, एनसीपी की तरफ से शशिकांत शिंदे और अमोल मिटकरी और कांग्रेस की तरफ से रमेश कारद विधान परिषद के लिए चुने गए हैं.
विधान परिषद की एक सीट के लिए तकरीबन 32 वोटों की प्रथम वरियता के आधार पर जरूरत थी. इस लिहाज से माना जा रहा था कि महा विकास अघाड़ी छह सीटों को लेकर समीकरण बना रही थी. वहीं भाजपा की नजर भी चार सीटों पर थी. लेकिन अब अघाड़ी के खाते में 5 और बीजेपी के पास 4 सीटें गई हैं.