भारत में रहकर तो आयुर्वेद से हम भाग नहीं सकते. घर में उपस्थित नानी-दादी के सरल नुस्खे भी तो आयुर्वेद की ही उपज हैं. इनकी भला कैसे उपेक्षा कर सकते हैं?
आयुर्वेद अपनाने के सात मुख्य कारण –
पहला –
आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करती हैं, जबकि एलोपैथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है.
दूसरा –
आयुर्वेद का उपचार हजारों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपैथी दवाओं की खोज कुछ सदियों पहले हुई है.
तीसरा –
आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में सरलता से व सहज उपलब्ध हो जाती हैं, जबकि एलोपैथी दवाएं सरलता से उपलब्ध नहीं हो पातीं.
चौथा –
आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती हैं या कहें कई तो मुफ्त की हैं, जबकि एलोपैथी दवाओं कि मूल्य बेहद है.
पांचवां –
आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, जबकि एलोपैथी दवा को एक बीमारी में प्रयोग करो तो दूसरी बीमारी अपने आप जड़ें मजबूत करने लगती है.
छठा –
आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो व इसके छोटे-छोटे तरीका है जो बहुत ही सरल है, जिन्हें अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते है, जबकि एलोपैथी के पास ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है.
सातवां –
बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85फीसदी भाग स्वस्थ रहने के लिए है व केवल 15 प्रतिशत भाग में आयुर्वेदिक दवाइयां आती हैं, जबकि एलोपैथी का 15 प्रतिशत भाग स्वस्थ रहने के लिए है व 85 प्रतिशत भाग उपचार के लिए है.
स्वस्थ रहने का फंडा आयुर्वेद के अनुसार-
जागने का समय : प्रातः काल तीन से छह के बीच. पढ़ने, ध्यान, योग और व्यायाम के लिए यह उत्तम समय है
पानी पीएं : प्रातः काल उठने के तुरन्त बाद क्षमता अनुसार पानी पीएं. इससे मल शुद्ध होता है.
मलमूत्र त्याग : मलमूत्रादि त्याग के लिए जाएं इसे किसी सूरत में रोकना नहीं चाहिए.
दांत और चेहरे को धोएं : दांतों और जीभ को रोजाना साफ करें. इसके बाद चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारें.
आंख पर मारे छीटें : ठंडे पानी से आंखों पर छीटें मारें. आंख की लाइट बढ़ाने व आंखों को रोग से बचाने के लिए नित्य त्रिफला के पानी से आंख धो सकें तो बेहतर.
खाने के बाद : खाने के बाद लौंग, इलायची मिला मीठा पान खाने से मुख शुद्ध व भोजन अच्छा से पचता है.