मोदी सरकार दूसरी पारी में आतंकवादियों एवं आतंकवाद के पोषकों पर कोई भी रियायत बरतने के मूड में नहीं है। इसलिए कई प्रकार की रणनीति पर काम चल रहा है। टेरर फंडिंग मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बड़ी योजना पर काम कर रही है। योजना के मुताबिक दोनों एजेंसियां दुख्तारन-ए-मिल्लत प्रमुख आसिया अंद्राबी, अलगाववादी नेता शब्बीर शाह एवं अलगाववादी मसरत आलम से एक साथ पूछताछ कर सकती हैं। तीनों से पूछताछ के दाैरान कई परतें खुल सकती हैं। सूत्रों की मानें तो एजेंसियां तीनों की हिरासत में लेने की तैयारी में हैं। अंद्राबी और शब्बीर शाह तिहाड़ जेल में बंद हैं जबकि मसरत आलम को आज एनआईए कोर्ट में पेश किया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ईडी और एनआईए जांच में वित्तीय लिंक का पता चला है। एनआईए ने 30 मई 2017 को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अज्ञात सदस्यों सहित अलगाववादियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। उन पर हिज्बुल मुजाहिदीन, दुख्तारन-ए-मिलत और लश्कर-ए-तैयबा जैसे अभियुक्त संगठनों के आतंकवादियों के साथ संपर्क करने का आरोप था जबकि दुख्तारन-ए-मिलत गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित संगठन है, शाह, हाल तक, सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत गुट का हिस्सा था। पुलवामा हमलों के बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शाह, मीरवाइज उमर फारूक और अन्य की सुरक्षा वापस ले ली थी।