लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रशासन से गांव-किसान को भी लाभ मिलना चाहिए। तभी गांव-खेती से सम्बन्धित योजनाएं साकार रूप ले सकेंगी। अंग्रेजी दां अफसरशाही से किसानों के हितों का संरक्षण नहीं हो सकता है। आज जब कोरोना संकट से प्रदेश में लाॅकडाउन की सख्त पाबंदी है राज्य सरकार के आला अफसरों ने ‘आनलाइन‘ के सहारे अपनी नाकामियों को छुपाने का बहाना तलाश लिया है। सभी के लिए यह व्यवहारिक नहीं है।
प्रदेश में स्कूल कालेज बंद हैं। परीक्षाओं की काॅपियां तक नहीं जांची जा सकती हैं। ऐसे में टीवी और स्मार्टफोन के जरिए पढ़ाई की सरकार ने योजना बनाई है। जमीनी वास्तविकता से मुख्यमंत्री जी की टीम-इलेवन की अनभिज्ञता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। इस सम्बंध में एक सर्वे भी सामने आया है जिसके अनुसार लखनऊ एवं वाराणसी के गांवों में 48 और 55 फीसदी लोगों के पास स्मार्टफोन है और लखनऊ में 61.5 प्रतिशत लोगों के पास ही टीवी है। जब राजधानी की यह स्थिति है तब 23 करोड़ के राज्य में गांव-गरीब कहां है? ऐसे में हर बच्चे की शिक्षा का दावा सिर्फ झूठ और जुमलेबाजी के अलावा और क्या हो सकता है?
राज्य सरकार ने पीसीएस प्रारम्भिक परीक्षा 2020, आरएफओ प्रारम्भिक परीक्षा 2020 तथा एसीएफ की परीक्षाओं के लिए भी आनलाइन आवेदन को हरी झंडी दे दी है। चूंकि सुदूर गांव-देहात तक अभी ‘नेट‘ ठीक से काम नहीं कर रहा है साईबर कैफे उनकी पहुंच में है नहीं, ऐसी दशा में ग्रामीण क्षेत्रों के युवा अपने आवेदन कैसे कर सकेंगे? गांव के नौजवान को अच्छी नौकरियों से वंचित रखने की साज़िश है। गांवों में किसानों की फसल तैयार है। लाॅकडाउन में किसान क्रय केन्द्र ढूंढ़ रहा है जिनका कोई पता नहीं। बिचैलिए सक्रिय हैं। अब किसान कहां आनलाइन फसल बेचेगा? सरकार ने किसान के गेहूं की लूट का पूरा जाल बुन दिया है।