विपक्षी दलों के नेताओं ने एक बार फिर से ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) पर सवाल उठाया है। विपक्ष के नेताओं ने गड़बड़ी और इनसे छेड़छाड़’ के मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय में उठाने की बात कही है।
निर्वाचन आयोग ने मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया
21 राजनैतिक दलों के नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि निर्वाचन आयोग ने मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया है और देश तथा इसके लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री व तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि लोगों में विश्वास को फिर से बहाल करने के लिए वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) अपरिहार्य है।
उन्होंने कहा,”मतदाताओं के विश्वास को पेपर ट्रेल के जरिए ही हासिल किया जा सकता है। वीवीपैट, मतदान प्रणाली की शुद्धता को सुनिश्चित करता है.” नायडू ने कहा कि तेलंगाना में 25 लाख मतदाताओं के नाम काट दिए गए,जिसे बाद में निर्वाचन आयोग ने भी माना और आयोग ने इसे स्वीकार करके बस सॉरी कह दिया।
वीवीपैट की 50 फीसदी पर्चियों का मिलान किया जाए
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आयोग निष्पक्षता की हमारी मांग पर ध्यान नहीं दे रहा है ऐसे में हमारे पास सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता। सर्वोच्च न्यायालय में 50 फीसदी ईवीएम की वीवीपैट से मिलान की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा, “वास्तविक प्रमाणन के बिना ही लाखों मतदाताओं के नाम ऑनलाइन काट दिए गए। दलों ने निर्वाचन आयोग को एक लंबी सूची भी दी है। यह बेहद जरूरी हो गया है कि वीवीपैट की 50 फीसदी पर्चियों का मिलान किया जाए।
केवल एक पार्टी वीवीपैट पर्चियों की गिनती के खिलाफ
आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केवल एक पार्टी वीवीपैट पर्चियों की गिनती के खिलाफ है,क्योंकि ईवीएम की गड़बड़ी से उसे सीधे सीधे लाभ पहुंच रहा है। इस मौके पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, समाजवादी पार्टी तथा वामपंथी दलों के नेता भी मौजूद थे।