लखनऊ विश्वविद्यालय में विश्व मानसिक स्वास्थ्य के अवसर पर एचटीएल, मनोविज्ञान विभाग और परामर्श और मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पर एक सत्र का आयोजन किया गया। सत्र का संचालन लखनऊ विश्वविद्यालय की एचटीएल की डायरेक्टर प्रोफेसर मधुरिमा प्रधान मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना शुक्ला ने किया। उद्घाटन लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मानिनी श्रीवास्तव ने किया। इस सत्र का विषय “connect with yourself” इसमें मानसिक स्वास्थ्य के प्रति छात्रों को जागरूक किया गया, और बताया कि कैसे हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को संतुलन में रखना चाहिए इसके लिए डॉ बृजेश कपूर और श्रीमती कपूर इस सत्र के मुख्य वक्ता थे।
डॉ बृजेश कपूर ने 1992 में आत्म-साक्षात्कार प्राप्त किया और तब से अपनी पत्नी श्रीमती कपूर के साथ सहज योग से जुड़े हुए हैं। श्रीमती कपूर ने सहज योग की अवधारणा को एक अभ्यास के रूप में पेश किया जो भौतिक शरीर, भावनात्मक शरीर और आध्यात्मिक शरीर के बीच संतुलन खोजने में मदद करता है। उनका असंतुलन पारस्परिक संबंधों में बीमारियों और तनाव का कारण बनता है जो मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को जन्म देता है। सहज योग व्यक्ति को संतुलन और खुशी की स्थिति में ले जाता है।
डॉ. बृजेश ने आगे स्वयं को हमारी आत्मा के रूप में वर्णित किया और सहज योग का अभ्यास हमारे आत्मा को उच्च स्व या परमात्मा से जोड़ने में मदद करता है। उन्होंने सहजयोग को एक सतत प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जिसे कोई भी अपने शरीर में महसूस कर सकता है जैसे वे अपने दिल की धड़कन को कैसे महसूस कर सकते हैं। उन्होंने आज की दुनिया में इस प्रथा की आवश्यकता के बारे में बताया जो पहले जैसी समस्याओं का सामना कर रही है।
डॉ कपूर ने बताया कि सहज योग का अर्थ आत्मा से है जो एक तरीका है जिससे मनुष्य का सम्बन्ध (योग) परमात्मा से हो सकता है सहज योग एक आसान पद्धति है जिसे सीख कर हर व्यक्ति सीख कर अपने मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रख सकता है। सत्र डॉक्टर द्वारा सहजयोग के दस मिनट के अभ्यास के साथ आगे बढ़ाकपूर और एक इंटरैक्टिव सत्र जहां जूम मीटिंग के प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और विचार साझा किए। संगोष्ठी का समापन लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मेघा सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।