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तालिबानी अंदाज की थी विभाजन विभीषिका

डॉ दिलीप अग्निहोत्रीतालिबान के कहर से अफगानिस्तान में भगदड़ की स्थिति है। भारत विभाजन के समय पाकिस्तान से पलायन करने वालों की भी यही दशा थी। यह संयोग है कि इसी समय केंद्र सरकार ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का निर्णय लिया।

कुछ समय पहले आंदोलन जीवियों ने सीएए के विरोध में जम कर हंगामा किया था। यह कानून पाकिस्तान में उत्पीड़ित हिन्दू बौद्ध सिख को भारतीय नागरिकता देने के संबन्ध में था। यह कानून मानवता पर आधारित है। लेकिन इसके विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाया गया। कई स्थानों पर दंगे हुए। आंदोलन को समर्थन देने के लिए देश के दिग्गज विपक्षी नेता भी पहुंच रहे थे।

किसी ने भी यह विचार नहीं किया कि इस कानून को बनाने की आवश्यकता क्या थी। इस पर विचार करने के लिए विभाजन की विभीषका को याद करने की आवश्यकता थी। लेकिन राजनीतिक स्वार्थ में ऐसा नहीं किया गया। जाहिर है कि विभाजन विभीषका को भारत की वर्तमान पीढ़ी ने याद रखा होता तो,सीएए पर हंगामा ना किया जाता। भारत का विभाजन और स्वतन्त्रता इतिहास के एक ही अध्याय में है। भीषण त्रासदी और विभाजन की काली रात के बाद स्वतन्त्रता का प्रकाश हुआ था। भारत का विभाजन कष्टप्रद था। लेकिन इसके लिए हिंसा का जो प्रदर्शन हुए,उसने पूरी मानवता को शर्मशार किया था। इतिहास के इस अप्रिय प्रसंग को भी याद रखने की आवश्यकता है। यह सराहनीय है कि वर्तमान सरकार ने चौदह अगस्त को विभाजन विभीषका स्मृति दिवस आयोजित करने का निर्णय लिया।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे एकता,सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। विभाजन की त्रासदी सदियों तक याद रखी जाएगी। यह बीसवीं सदी की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक थी। इस दौरान हुए दंगों में लाखों लोग मारे गए थे। इस लड़ाई में महिलाओं ने सबसे अधिक दर्द झेला। पाकिस्तान में हिंदुओं व सिखों के घरों व जमीनों पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान छोड़कर भारत चले जाने की नसीहत दी जाती थी।

अपनी जमीन छोड़कर ना जाने वालों को मार दिया जाता था। यह नए भारत के सृजन का अमृत काल है। इसमें विभाजन त्रासदी को भी याद रखना होगा। अमृत काल में संकल्पों की सिद्धि देश को आजादी के सौ वर्ष तक ले जाएगी। भारत विभाजन का दर्द आज तक कायम है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम आजादी का जश्न मनाते हैं,लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। अब से चौदह अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा। यह देश को सामाजिक विभाजन और कटुता के विष को हटाने की याद दिलाता रहेगा और साथ ही एकजुट होने की भावना को मजबूत करेगा। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने के निर्णय का स्वागत किया है। कहा कि इससे राष्ट्रीय एकता और अखण्डता सुदृढ़ होगी।

सामाजिक सद्भाव बढ़ेगा। देश के बंटवारे से विस्थापित हुए लोगों के संघर्ष और बलिदान की स्मृति में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप आयोजित करने से वर्तमान पीढ़ी को सकारात्मक सन्देश मिलेगा। मानवीय संवेदनाओं को मजबूती मिलेगी। यह भेदभाव, वैमनस्य तथा दुर्भावना को खत्म करने के लिए देशवासियों को प्रेरित करेगा। विभाजन के कारण लाखों लोगों ने हिंसा,अपनों की मृत्यु और विस्थापन की विभीषिका को झेला है। इस ऐतिहासिक जंग में जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया,उन्हें याद रखना आवश्यक है।

विभाजन विभीषिका स्‍मृति दिवस देश के विभाजन का दंश झेलने वाले सभी परिवारों को सच्ची श्रद्धांजलि है। इस दिन के बाद स्वतन्त्रता दिवस परम्परागत उत्साह दिखाई देगा। जिसमें भारत की विकास यात्रा दिखाई देती रहेगी। भारत ने सदैव ऐसी हिंसा का विरोध किया है। इस क्रम में आतंकवाद को रोकने के लिए भारत ने साझा रणनीति बनाने का प्रस्ताव किया है। भारतीय चिंतन में पूर्णता का सन्देश दिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र ने लाल किले की प्राचीर से पूर्णता का उल्लेख किया। कहा कि हमें अब विकास की तरफ नहीं बल्की पूर्णता की तरफ जाना है। अर्थात देश के शत प्रतिशत लोगों तक सुविधाएं व विकास के लाभ को पहुंचाना है। सभी परिवारों को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए।

शहरों और गांवों के बीच के अंतर को समाप्त करने के लिए वहां तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क भी पहुंच रहा है। गांव में कई जगहों पर महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रूप में शामिल हो कर नए उद्यम कर रही हैं। ऐसी महिलाओं के लिए सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाएगी। इससे उनके उत्पाद देश के हर कोने तक पहुंच सकेंगे। वर्तमान सरकार पिछले कई दशकों से अनसुलझी समस्याओं को भी सुलझाने का काम कर रही है। सेनाओं के हाथ मजबूत करने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भारतीय कंपनियों और उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में अवसर देने के लिए देश में प्रयास किए जा रहे हैं। भारत आज उन विषयों को भी हल कर रहा है जिनको सुलझाने में सदियों का इंतजार करना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को बदलने का ऐतिहासिक फैसला,देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने की नई व्यवस्था वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी,देश के जवानों को वन रैंक वन पेंशन,राम जन्मभूमि केस का शांतिपूर्ण समाधान पिछले कुछ दिनों में देश ने सच होते देखा है। इस समय किसानों के नाम पर कुछ लोग आंदोलन कर रहे है। नरेंद्र मोदी ने किसानों का उल्लेख किया। कहा देश में कृषि जोत छोटी होती जा रही है। छोटे किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनके लिए विशेष प्रयास किये जा रहे है। छोटे किसानों को देश की शान बनाना है। उनकी सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा।
देश के अस्सी प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं। जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। पहले देश में बनी नीतियों में इन छोटे किसानों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जा रहे हैं। उन्हें सस्ते में सामग्री मिले,आसानी से ऋण मिले और फसलों पर बीमा मिले इस पर जोर दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने देश के सभी सैनिक स्कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए खोलने की घोषणा की। वर्तमान में देश में तैतीस सैनिक स्कूल चल रहे हैं। सड़क से लेकर कार्यस्थल तक महिलाओं में सुरक्षा का एहसास और सम्मान का भाव हो। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेल को एक्स्ट्रा करिकुलर के बजाय मेनस्ट्रीम बनाया गया है। मातृभाषा की प्राथमिकता पर जोर दिया गया है। उन्होंने खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ा कर उसे तकनीक से जोड़ने पर बल दिया। भाषा के कारण देश की बड़ी प्रतिभा को पिंजरे में बांध दिया है। लेकिन भाषा कभी विकास में रुकावट नहीं बननी चाहिए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी गरीबी के खिलाफ लड़ाई में बड़ा शस्त्र बनकर सामने आने वाला है। क्योंकि इसमें लोगों की प्रतिभा को जगह दी गई है। ग्रीन हाइड्रोजन का नया वैश्विक केंद्र बनाने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की स्थापना की जाएगी। पचहत्तरवें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश इतने ही सप्ताह तक अमृत महोत्सव का पालन करेगा। आने वाले समय में देश के हर कोने को जोड़ने के लिए इतनी ही संख्या में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलेंगी। सरकार जल्द सौ लाख करोड़ रुपयों की एक नई गतिशक्ति योजना लॉन्च करेगी। जो देश के लिए नया नेशनल इंफ्रास्ट्क्चर प्लान होगा। और देश को होलिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर देगी।

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