नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वाणिज्य और व्यवसाय से जुड़े लोगों पर व्यवस्था की मार नहीं पड़नी चाहिए, क्योंकि वे ही नौकरी और संपत्ति के सृजनकर्ता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ‘आर्थिक राष्ट्रवाद’ का सिद्धांत कुछ व्यक्तियों के वित्तीय लाभ से अधिक महत्वपूर्ण है।
उन्होंने रविवार को एक निजी शैक्षणिक संस्थान महाराजा अग्रसेन टेक्नीकल एजुकेशन सोसाइटी के कार्यक्रम में भाग लिया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा इस बात की वकालत की है कि व्यापार, वाणिज्य, उद्योग से जुड़े लोगों पर व्यवस्था की मार नहीं पड़नी चाहिए। उन लोगों को समाज में सम्मान मिलना चाहिए।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी…
उपराष्ट्रपति का मानना है कि यह वर्ग नौकरी और संपत्ति का सृजन करता है और सामाजिक सद्भाव में योगदान देता है। उन्होंने कहा, ‘वे अर्थव्यवस्था के चालक हैं। उन्होंने इस देश में समाज को कुछ वापस देने की कला सीखी है।’ उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी उद्यमियों का योगदान रहा है।
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अनावश्यक आयात पर अंकुश लगे
उपराष्ट्रपति ने आर्थिक राष्ट्रवाद के सिद्धांतों का पालन करने की जरूरत पर भी जोर दिया। कहा कि विदेशी मुद्रा बचाने और स्थानीय उद्योग को फलने-फूलने में मदद करने के लिए अनावश्यक आयात पर अंकुश लगाना चाहिए।
एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझना जरूरी: धनखड़
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें विभिन्न विचारों का सम्मान करना चाहिए और सामाजिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए दूसरे के दृष्टिकोण को कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए। अलग-अलग विचार पाठ्यक्रम को सही करने में मदद करते हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘सहिष्णुता एक गुण है। यह हमारी सभ्यता के चरित्र में गहराई से समाया हुआ है। यह समाज में सद्भाव और समावेशिता का आधार है। यह सामाजिक सद्भाव का एक अविभाज्य पहलू है।’
एनईपी की सराहना की
नई शुरू की गई इंटर्नशिप योजना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सराहना करते हुए, धनखड़ ने कहा कि एनईपी तीन दशकों की गहन चर्चा के बाद विकसित हुई, जिसमें हजारों इनपुट शामिल थे। उन्होंने कहा कि यह अनुभवात्मक शिक्षा, आलोचनात्मक चिंतन के साथ-साथ अनुसंधान के लिए उद्योग-अकादमिक साझेदारी को भी सक्षम बनाता है।