बिहार के साथी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की पार्टी आपस में भिड़ने को तैयार है। दरअसल, यह सियासी कहानी पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड की है, जहां फरवरी में मतदान होना है। बिहार की क्षेत्रीय पार्टियां नगालैंड में दम भर रही हैं। खास बात है कि इनके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी मैदान में है।
आंकड़े बताते हैं कि नगालैंड में कुछ राष्ट्रीय दल समेत कुल 13 पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं। इसके अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार भी सियासी किस्मत आजमाते नजर आएंगे। एक ओर जहां जनता दल (यूनाइटेड) साल 2003 से ही नगालैंड में सक्रिय है औरर सीटें जीतता रहा है। वहीं, चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (आरवी) पहली बार चुनाव लड़ रही है। राष्ट्रीय जनता दल 2018 से पहले चुनाव लड़ चुका है।
राज्य में चुनाव लड़ रहे कई दलों ने चुनाव के बाद गठबंधन की बात कही है। इनमें जदयू भी शामिल है। खास बात है कि NDA के साथ कभी नहीं आने की बात कहने वाले कुमार ने अभी तक भाजपा के साथ गठबंधन की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है। पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी अफाक अहमद खान का कहना है, ‘हम चुनाव के बाद गठबंधन के लिए तैयार हैं और नगा लोगों और नगा शांति के हित में कोई भी गठबंधन बनाने के लिए प्रदेश इकाई को स्वायत्ता दी है।’
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खबर है कि बिहार सरकार में सीएम कुमार के साथी राजद ने भी भाजपा के साथ गठबंधन से दूर रहने का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने साफ किया है कि अगर वह कोई भी सीट जीतती है, तो भाजपा के साथ वाली गठबंधन सरकार में शामिल नहीं होंगे। हालांकि, पार्टी दूसरे दलों के साथ चुनाव के बाद गठबंधन कर सकती है। आरजेडी 2018 चुनाव में मैदान में नहीं थी, लेकिन 2013 चुनाव में मैदान में थी।
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बीते साल अक्टूबर में बिहार के सीएम कुमार नगालैंड पहुंचे थे। वहां, उन्होंने जयप्रकाश नारायण की 120वीं जयंती मनाई। दरअसल, 1950 के समय में जब नगा नेशनल काउंसिल ने अंगामी जापू फिजो के नेतृत्व में भारत से स्वतंत्रता का ऐलान कर दिया था, तब जेपी नगालैंड के कई गांवों तक पहुंचे थे। साल 1964 में नगालैंड बाप्टिस्ट चर्च काउंसिल ने पीस मिशन की स्थापना की, तो जेपी भी उसके सदस्य रहे थे।