उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हो रही ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट राज्य के लिए अपार संभावनाएं लेकर आएगी। अर्थव्यवस्था को यह समिट मजबूती तो देगी ही। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। वित्त विशेषज्ञों का तो कमोबेश यही मानना है।
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लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख एमके अग्रवाल कहते हैंः-उत्तर प्रदेश अब पुराना उत्तर प्रदेश नहीं रहा। भारत और विदेशों में आर्थिक क्षेत्रों में संभावनाओं की बात आती है तो उत्तर प्रदेश को लेकर लोगों की धारणा बदल गई है।
खासतौर पर निवेशक, जो पहले उत्तर प्रदेश में निवेश को लेकर कई बार सोचते थे, वो अब प्रदेश की योगी सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों और निवेश के प्रति उचित माहौल को मद्देनज़र यहां व्यापार करने, व्यापार की शुरुआत करने और इसके विस्तार के प्रति सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं।
दूसरी ओर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रो सनातन नायक कहते हैं-ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से प्रदेश में रोजगार बढेगा। स्क्लिड व नॉन स्क्लिड युवाओं को रोजगार की प्राप्ति होगी। आम व्यक्तियों की आमदनी भी बढने की संभावना है। जिससे प्रति व्यक्ति आय और प्रदेश की जीडीपी भी बढेगी।
इससे उत्तर प्रदेश का एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की जो लक्ष्य है, उसको बल मिलेगा। इस समिट में नार्वे और फिनलैंड के विदेश मंत्री भी आ रहे हैं, उनके देश में सबसे एडवांस ग्रीन टेक्नोलॉजी है।
वह ट्रेड और इंडस्ट्री में मिल कर काम करना चाहते हैं, जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण कम होगा। साथ ही उनके साथ मिलकर काम करने से हम इस टेक्नोलॉजी को सीखकर सस्ता कर सकेंगे। क्योंकि अभी यह बहुत महंगी है।
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उनका कहना है कि योगी आदित्यनाथ के रूप में उत्तर प्रदेश के मौजूदा नेतृत्व ने पांच साल पहले ही समझ लिया था कि यदि उत्तर प्रदेश को भारत में और भारत के अन्य राज्यों के बीच अपने पिछड़ेपन से बाहर आना है, तो इस सबसे अधिक आबादी वाले राज्य को त्वरित गति से ज्यादा मेहनत करनी होगी और पहले की तुलना में अतिरिक्त प्रयास करना होगा।
तभी यह प्रदेश ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के अपने मिशन को साकार कर सकेगा और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अहम भागीदारी निभा सकेगा। इसी पृष्ठभूमि को पहचान कर एक तरह से उत्तर प्रदेश अब तेज और समावेशी विकास के पथ पर चल पड़ा है और अब भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह विकास का नया ग्रोथ इंजन बन रहा है।