सांसद ने किया पोलियो अभियान और स्वास्थ्य मेले का शुभारंभ
50 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय से हुई अभियान की शुरुआत
आज से घर-घर जाकर पोलियो की दवा पिलाएंगी पल्स पोलियो की टीम
औरैया। पल्स पोलियो की दवा सुरक्षित और असरदार है। इसके प्रति मिथक और भ्रांतियों के कारण पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो का उन्मूलन नहीं हो सका, जबकि भारत में पोलियो उन्मूलन संभव हो गया। चूंकि पड़ोसी देशों में पोलियो के वायरस मौजूद हैं, इसलिए एहतियातन भारत के भी हर शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चे को पोलियो से पूर्ण प्रतिरक्षित किया जाना अनिवार्य है। इसलिए प्रत्येक अभिभावक का दायित्व है कि वह अपने पाल्यों को पोलियो की दवा अवश्य पिलाएं। उक्त बातें सांसद प्रो.राम शंकर कठेरिया ने 50 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय से पल्स पोलियो अभियान का शुभारंभ करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि 19 से 23 सितंबर तक घर-घर जाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम पोलियो की दवा पिलाएंगी। इस दौरान जिला अध्यक्ष श्रीराम मिश्रा भी मौजूद रहे।
मौके पर मौजूद जिलाधिकारी प्रकाश चंद्र श्रीवस्तव ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय की तरफ से समस्त उप जिलाधिकारी, बेसिक शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, जिला पूर्ति अधिकारी, नगर निकायों से संबंधित अधिकारियों और जिला पंचायती राज अधिकारी को पत्र भेजे गये हैं। इस पत्र के जरिये दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुसार स्कूलों में बूथ दिवस पर रैलियां निकाली गयी हैं और पल्स पोलियो अभियान के प्रति जागरूकता के संदेश दिये गये। आईसीडीएस विभाग से कहा गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों के तीन से पांच वर्ष तक के बच्चों को केंद्र पर दवा पिलवाएं, जबकि तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों के माताओं को प्रेरित कर दवा पिलाई जाए। राजस्व विभाग, आपूर्ति विभाग, पंचायती राज विभाग और नगर निकाय से जुड़े लोगों से इंकारी परिवारों को प्रेरित कर उनके बच्चों को पोलियों की दवा पिलवाने को कहा गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि पोलियो का टीका नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में भी शामिल है। पल्स पोलियो का ड्रॉप जन्म के समय ही दिया जाता है। इसके अलावा छह, दस और चौदह सप्ताह पर भी यह ड्रॉप पिलाया जाता है। इसकी बूस्टर खुराक सोलह से चौबीस महीने की आयु में भी दी जाती है। भारत सरकार के नेशनल हेल्थ पोर्टल पर 23 अक्टूबर 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक पोलियो के दो सौ संक्रमणों में से एक संक्रमण अपरिवर्तनीय पक्षाघात (आमतौर पर पैरों में) में बदल जाता है। ऐसे पक्षाघात पीड़ित में से पांच से दस फीसदी की मौत हो जाती है। ऐसे में इस जटिल बीमारी के प्रति संपूर्ण प्रतिरक्षण अति आवश्यक है।
उद्घाटन अवसर पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, हॉस्पिटल मैनेजर सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और यूएनडीपी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
अभियान: एक नजर में
लक्षित मकान- 2 लाख 58 हजार 162
लक्षित लाभार्थी बच्चे- 2 लाख 58 हज़ार 913
पर्यवेक्षक- 158
गृह भ्रमण टीम- 442
ट्रांजिट टीम- 41
मोबाइल टीम- 18
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर