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महाशिवरात्रि से पहले प्रदोष व्रत, जानिए क्या है इसका महत्व

9 मार्च 2021 को एकादशी, 10 मार्च को प्रदोष और 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 10 मार्च को है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। एक माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं। पहला कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। महाशिवरात्रि के एक दिन पहले आने वाला प्रदोष बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

प्रदोष कथा : प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। संक्षेप में यह कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।

प्रदोष व्रत फल : हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सोमवार का प्रदोष, मंगलवार को आने वाला प्रदोष और अन्य वार को आने वाला प्रदोष सभी का महत्व और लाभ अलग अलग है।

प्रदोष रखने से आपका चंद्र ठीक होता है। अर्थात शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है। माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। मानसिक बैचेनी खत्म होती है।

बुधवार : इस बार बुधवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन को आने वाले प्रदोष को सौम्यवारा प्रदोष भी कहा जाता है यह शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही यह जिस भी तरह की मनोकामना लेकर किया जाए उसे भी पूर्ण करता है। यदि आपमें ईष्‍ट प्राप्ति की इच्‍छा है तो यह प्रदोष जरूर रखें।

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