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नाका गुरुद्वारा में बाला प्रीतम साहिब गुरु हरिक्रिशन साहिब जी का प्रकाश पर्व मनाया गया

लखनऊ। बाला प्रीतम साहिब श्री गुरु हरिक्रिशन साहिब जी का प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) 22. जुलाई (शुक्रवार) को ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी नाका हिंडोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।

नाका गुरुद्वारा में बाला प्रीतम साहिब गुरु हरिक्रिशन साहिब जी का प्रकाश पर्व मनाया गया

शाम का विशेष दीवान 6.15 बजे  रहिरास साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जो रात्रि 09.30 बजे तक चला। जिसमें रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुरवाणी में शबद कीर्तन गायन एवं नाम सिमरन करवाया। ज्ञानी सुखदेव सिंह ने साहिब गुरु हरिक्रिशन साहिब जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि साहिब गुरु हरिक्रिशन साहिब जी का जन्म आज ही के दिन कीरत पुर में हुआ था।

आपके पिता जी का नाम हरिराय व माता का नाम कृष्ण कौर था। गुरु हरिराय ने अपने बड़े बेटे को गद्दी न देकर अपने छोटे बेटे को हरिक्रिशन में प्रभु भक्ति एवं गुणों को देखकर उन्हें ही गद्दी पर आसीन किया। आप सभी दस गुरुओं के सबसे छोटी उम्र में गुरु गद्दी पर आसीन हुए। इसी लिए आप को ‘‘बाला प्रीतम’’ के नाम से भी जाना जाता है।

एक बार जिला अम्बाला के पंजखोरे गांव में एक पंडित कृष्ण लाल ने छोटे से बालक को गुरु मानने से इन्कार करते हुए कहा कि यदि गुरु जी गीता के श्लोकों का अर्थ करके दिखायें तो मै इन्हें गुरु मान लूँगा। गुरु ने कहा आप किसी को ले आएं गुरु नानक की कृपा दृष्टि की तसल्ली मै करवा दूँगा। पंडित एक महा मूर्ख को ले आया। गुरु की कृपा से वह मूर्ख एक विद्वान की तरह गीता के श्लोकों का अर्थ सुनाने लगा इससे गुरु जी की महिमा पहले से भी ज्यादा फैल गयीं। गुरु जी दिल्ली में ही थे कि चेचक की बीमारी सारे इलाके मे फैल गयी। गुरु जी ने गरीबों, दुखियों की सहायता करनी शुरु कर दी।

एक दिन गुरु जी को तेज बुखार हुआ। आपके शरीर पर चेचक के लक्षण दिखाई देने लगे। अपना जाने का समय नजदीेक जान कर साध संगत को आदेश दिया कि ‘‘बाबा बकाला’’ जिसका भाव था कि हमारे बाद गुरु गद्दी की जिम्मेदारी संभालने वाला महापुरुष गांव बकाले (अमृतसर) में है। यह कह कर आठ वर्ष की आयु में आप गुरुपुरी सिधार गये जिस स्थान पर आपका अन्तिम संस्कार हुआ वहाँ अब गुरुद्वारा बाला साहिब है। विशेष रुप से पधारे रागी जत्था भाई गुरमीत सिंह जी उना साहिब वालों ने शबद कीर्तन “श्री हरिक्रिशन धियाइएै जिस डिठ्ठे सब दुख जाय।।“ गायन कर समूह साध संगत को निहाल किया।

आज के समागम में संत बाबा मक्खन सिंह, जो भाई मनी सिंह टकसाल अमृतसर पंजाब के प्रमुख हैं जिनके द्वारा अनेक तरह की सेवाएं और समाज सेवा की जा रही है और विशेष तौर पर गरीब लड़कियों का विवाह चाहे वह किसी भी जाति या धर्म की हो वह सामूहिक विवाह करवाए जाते हैं । 11 November 2011 उन्होंने 5100 अलग-अलग धर्म की लड़कियों का सामूहिक विवाह करवाया था। जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है।उनको लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से सम्मानित किया गया।

दीवान की समाप्ति के पश्चात लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने आई साध संगत को साहिब गुरु हरिक्रिशन साहिब के प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) की बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन स0 सतपाल सिंह ‘‘मीत’’ ने किया तत्पश्चात हरमिन्दर सिंह टीटू की देखरेख में गुरु का लंगर श्रधालुओं में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा वितरित किया गया।

रिपोर्ट – दया शंकर चौधरी

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