लखनऊ। उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बी. एल. मीणा और निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी द्वारा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए पिछले दिनों जो आपसी तना-तनी हुई थी उसका समझौता होने की बात भी बाद में सामने आ गई थी। समझौता तो होना ही था क्योंकि बी. एल. मीणा और बालकृष्ण त्रिपाठी आखिर हैं तो एक ही गाड़ी के मुसाफिर। भ्रष्टाचार की वह गाड़ी जिसके मुसाफिर रहे आई.ए.एस. सत्येन्द्र सिंह आज सी.बी.आई. की गिरफ्त में फँस गए हैं।
राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी निवासी समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्टउर्वशी शर्मा ने बीती 1 फरवरी को सूबे के लोक आयुक्त को एक अभिकथन परिवाद देकर उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बी. एल. मीणा, निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी,अनुसचिव राकेश कुमारसचान, अनुभाग अधिकारीपारस नाथ, संयुक्त निदेशकसुनील कुमार बिसेन समेत दर्जनों लोकसेवकों पर निहित स्वार्थों में लिप्त होकर कदाचार करने का गंभीर आरोप लगाया है और लोकायुक्त से जांच करके कार्यवाही की मांग की है।
उर्वशी की इस शिकायत के बाद बी. एल. मीणा और बालकृष्ण त्रिपाठी द्वारा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए पिछले दिनों हुई आपसी तना-तनी के वास्तविक होने पर एक प्रश्नचिन्ह तो लग ही रहा है।
उर्वशी ने बताया कि समाज कल्याण के इन अधिकारियों द्वारा झूंठ लिखकर शासनादेश जारी करने का कदाचार किये जाने के प्रमाण आरटीआई से प्राप्त करके उन्होंने मामले की शिकायत लोकायुक्त से की है, बकौलउर्वशीउनका मानना है कि तना-तनी का हाई वोल्टेज ड्रामा करके सूबे की नौकरशाही की छवि धूमिल करने वाले बी. एल. मीणा और बालकृष्ण त्रिपाठी भ्रष्टाचार और कदाचार करने में एक दूसरे से कदमताल करते नज़र आ रहे हैं।