भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू और पांच मिनट के लिए थाली व ताली बजाने की अपील की थी,तब इसकी सफलता पर कुछ लोगों ने संशय व्यक्त किया था, कुछ लोगों ने निंदा भी की थी। लेकिन एक बार फिर साबित हुआ कि आमजन के बीच मोदी की विश्वसनीयता का ग्राफ बहुत ऊपर है।
आमजन की भावनाओं तक पहुंच कर सोचने की उनकी क्षमता बेजोड़ है। उन्होने समझा कि लोग कोरोना के मुकाबले को तैयार है, उन्होने समझा कि कोरोना पीड़ितों की सेवा कर रहे लोगों का आभार व्यक्त होना चाहिए। शायद इसीलिए उन्होंने लोगों का आह्वान किया। और सफलता को मिसाल कायम हो गई। मोदी की जीवन शैली और राजनीतिक शैली ही उन्हें आमजन में विश्वसनीय बनाये हुए। लोगों को यह विश्वास है कि वह समाज व राष्ट्र के लिये सच्चे अर्थों में अर्पित है।
संसदीय प्रजातंत्र में संख्या बल के आधार पर सत्ता का निर्धारण होता है। लेकिन आमजन के बीच विश्वसनीयता इससे भी बड़ी बात होती है। सत्ता तो बहुत लोगों को मिल जाती है, लेकिन जनविश्वास हासिल करना दुर्लभ होता है। यह सभी राजनेताओं को नसीब भी नहीं होता।
PM नरेंद्र मोदी ने गुजरात से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। बात केवल सत्ता की करें, तो वह मुख्यमंत्री रहे। लेकिन उनके प्रति आमजन की विश्वसनीयता इससे भी अधिक थी। यही कारण है कि वह विजयी होते रहे। यह भी सही है कि भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी से अधिक हमले किसी पर नहीं हुए।
उनके साथ यह व्यवहार प्रधानमंत्री बनने तक जारी रहा। यह सिलसिला उनके साथ जुड़ा है। लेकिन अपने कार्यों के माध्यम से उंन्होने लोकप्रियता व जन विश्वास का यह मुकाम कायम रखा है।
रिपोर्ट- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री