राज्य की अशोक गहलोत सरकार तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को बायपास करके खुद के कानून बनाने की तैयारी कर रही है. सीएम अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को बायपास करके उनकी जगह विधेयक लाकर राज्य के काननू लागू करने का फैसला किया गया है. मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी मंत्रियों ने एक सुर में इस पर सहमति दे दी है.
बैठक में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों से एमएसपी खत्म होने की आशंकाओं से किसानों और खाद्य सुरक्षा पर पडऩे वाले असर, मंडी व्यवस्था पर प्रभाव और कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के प्रावधानों से किसानों पर पडऩे वाले प्रभावों पर मंथन किया गया.
बैठक में तय हुआ कि कृषि उपज मंडी समिति की व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए राज्य सरकार खुद का कानून लाएगी. इसके साथ ही कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग पर भी संशोधित काननू बनााने पर फैसला हुआ. राजस्थान में निजी मंडियों के लिए 2000 लाइसेंस पहले से दिए हुए हैं. कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के लिए भी राज्य सरकार का कानून बना हुआ है.
गौरतलब है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी कांग्रेस शासित राज्यों को निर्देश जारी कर तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को बायपास कर राज्य के कानून बनाने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए थे. सोनिया गांधी के निर्देशों के बाद गहलोत सरकार ने विधिक राय ली. विधिक राय के बाद मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाकर राज्य के नए कृषि कानून बनाने की संभावनाओं पर मंथन किया गया.
तीनों केंद्रीय कानूनों को बायपास करने के लिए राज्य सरकार को विधानसभा में विधेयक लाने होंगे. क्योंकि केंद्र के समवर्ती सूची या राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने के बाद अगर राज्य उसी मामले में कानून बनाना चाहता है तो उसे विधेयक पारित कर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजना होता है. इसलिए अब जल्द विधानसभा सत्र बुलाए जाने की संभावना हैं. मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि राज्य सरकार केंद्रीय कृषि कानूनों में जुड़े किसान विरोधी प्रावधानों को लागू करने की बजाय अपना कानून बनाएगी.