Breaking News

रामपुर नवाब खानदान का अपना हुआ करता था रेलवे स्टेशन

दया शंकर चौधरी

आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का अलग रुतबा था। उनका अपना रेलवे स्टेशन हुआ करता था, जहां हर समय दो बोगियां तैयार खड़ी रहतीं थीं। जब भी नवाब परिवार को दिल्ली, लखनऊ आदि जाना होता तो वह नवाब रेलवे स्टेशन पहुंच जाते। वहां से ट्रेन में उनकी बोगियां जोड़ दी जाती थीं। संपत्ति विवाद के चलते नवाब स्टेशन खंडहर बन गया है और बोगियों को जंग लग गई है। रामपुर में सन् 1774 से 1949 तक नवाबों का राज हुआ करता था। रजा अली खां रामपुर के आखिरी नवाब थे। नवाबी दौर भले ही खत्म हो चुका है लेकिन, उस दौर में बनी ऐतिहासिक इमारतें आज भी बुलंदी से खड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक इमारत रेलवे स्टेशन के पास भी है। इसे नवाब स्टेशन के नाम से जाना जाता है। रामपुर के नौवें नवाब हामिद अली खां के दौर में जब जिले से रेलवे लाइन गुजरी तो उन्होंने रेलवे स्टेशन के करीब ही अपने लिए अलग स्टेशन बनवाया था।

दिल्ली या लखनऊ जाते समय नवाब परिवार अपने महल से सीधे नवाब स्टेशन जाते और यहां से अपनी बोगियों में बैठ जाते। रामपुर स्टेशन पर ट्रेन आने पर उनकी बोगियां उसमें जोड़ दी जाती थीं। आजादी के बाद भी नवाब अपनी बोगियों में सफर करते रहे लेकिन, बाद में सरकारी नियमों के चलते इस पर रोक लगा दी गई। इसके बाद नवाब परिवारों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद हो गया। देखरेख न होने से इसकी चमक फीकी पडऩे लगी। हालत यह है कि कभी शाही अंदाज में सजी रहने वाली इन बोगियों में आज जंग लग चुका है। बोगियों के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दिए गये हैं। बोगी के दरवाजों पर ताले जड़े हुए हैं। इसी तरह नवाब स्टेशन भी खंडहर बन चुका है। यहां अब साइकिल स्टैंड बना दिया गया है।

रामपुर से मिलक के बीच बिछवाई थी रेल लाइन

रामपुर में नवाब का स्टेशन बदहाल है लेकिन, उसका स्वर्णिम इतिहास रोमांच और सम्मान पैदा कर रहे हैं। इतिहास के पन्ने उलटने से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि रामपुर के तत्कालीन नवाब हामिद अली खां ने अपना रेलवे स्टेशन बनवाया था। इस अंचल में रेल की सेवा साल 1894 में शुरू हुई। अवध और रुहेलखंड रेलवे ने ट्रेन की सेवा शुरू की। 1925 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश में रेल सेवा का संचालन संभाल लिया।

उसी साल नवाब हामिद ने चालीस किमी का निजी रेललाइन बिछवाया था। इसमें तीन स्टेशन थे-रामपुर नवाब रेलवे स्टेशन, उससे कुछ दूरी पर रामपुर रेलवे स्टेशन और फिर मिलक। नवाब का सैलून रामपुर नवाब रेलवे स्टेशन पर खड़ा होता था। जबकि रामपुर रेलवे स्टेशन आम लोगों के लिए था। साल 1930 में नवाब हामिद का इंतकाल हो गया, इसके बाद नवाब रजाअली खां ने रियासत की बागडोर संभाली। साल 1949 में रेलवे भारत के जिम्मे हो गई। साल 1954 में नवाब ने रामपुर रेलवे स्टेशन और दो सैलून रेलवे को उपहार के तौर पर दे दिए।

कुछ यूं बना था नवाब का सैलून

नवाब ने कुल चार सैलून बनवाए थे। रियासत के काम के लिए वह रामपुर से मिलक तक अक्सर सफर करते थे। इसमें दो आदमी की सीटिंग होती थी। पूरा कोच वातानुकूलित था। दो बेड रूम और बाथरूम भी था। सैलून कमरे की तरह था, जिसमें पेंटिंग लगी हुई थीं। पांच बेड सैलून: यह कूपा नौकरों के लिए चलता था। इसमें भी बाथरूम अलग से था।

यह कोच भी वातानुकूलित था। पेंट्री कार इस कोच में खाना बनाने के संसाधन होते थे। दो किचन होते थे। एक में इंडियन सर्विस थी, जिसमें शाकाहारी भोजन बनता था, जबकि इंग्लिश किचन में मांसाहार बनता था। पूर्व सांसद बेगम मेहताब जमानी उर्फ नूरबानो कहतीं हैं नवाब साहब (मिक्की मियां) जब भी बाहर जाते थे तो अपने सैलून (बोगी) से सफर करते थे। उनके साथ में हम भी कई बार मुंबई गए। इसमें सफर करना बहुत अच्छा लगता था। अब यह विवाद खत्म हो गया है तो देखते हैं कि नवाब स्टेशन किसके हिस्से में आता है। उसके बाद ही इसका भविष्य तय हो सकेगा।

ब्रिटिश लाइब्रेरी में महफूज हैं आलीशान तस्वीरें

ब्रिटिश राज में रामपुर रियासत की शानो-शौकत और रुतबा कायम करने वाली इमारतों की एलबम लंदन की ब्रिटिश लाइब्रेरी में महफूज हैं। ये तस्वीरें भारत के वायसराय व गवर्नर जनरल रहे लॉर्ड कर्जन को नवाब हामिद अली ने भेंट की थीं। लॉर्ड कर्जन के फोटो कलेक्शन ‘रामपुर एलबम’ को संरक्षित कर ब्रिटिश लाइब्रेरी इन तस्वीरों को दुनिया के सामने पेश कर रही है। आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का राज रहा। 1774 से 1949 तक रामपुर मुस्लिम रियासत रही है।

यहां नवाब फैजुल्ला खां, हाफिज रहमत खां, मोहम्मद अली खां, गुलाम मोहम्मद खां, अहमद अली खां, नसरुल्ला खां, मोहम्मद सईद खां, यूसुफ अली खां, कल्बे अली खां, मुश्ताक अली खां, हामिद अली खां और नवाब रजा अली खां का शासन रहा है।

देश में ब्रिटिश राज के बीच रामपुर एक विशाल रियासत बन गई थी। इस दौरान नवाबों ने अपना रुतबा जाहिर करने के लिए आलीशान महल और दीगर इमारतें तामीर कराई थीं। इनमें कुछ भव्य इमारतें अब या तो जमींदोज हो गईं या फिर जो बची हैं, वह देखभाल के अभाव में बदहाल हैं। लेकिन, सैकड़ों साल पहले बनी इन इमारतों की तस्वीरें लंदन में ब्रिटिश लाइब्रेरी के पास मौजूद हैं।

लाइब्रेरी की वेबसाइट पर मौजूद हैं तस्वीरें

नवाब खानदान की जानकारी रखने वालों का कहना है कि
भारत के वायसराय व गवर्नर जनरल रहे लॉर्ड कर्जन को रामपुर के नवाब हामिद अली ने भेंट की थीं। यह नायाब तस्वीरें ब्रिटिश लाइब्रेरी की वेबसाइट पर मौजूद हैं। जानकारों का कहना है कि ब्रिटिश लाइब्रेरी में मौजूद फोटो में रामपुर की जामा मस्जिद और किले में बना इमामबाड़ा एक साथ नजर आ रहे हैं। नवाब स्टेशन, यूरोपियन गेस्ट हाउस, किले के अंतर तोशीखाना, महल सरायं, खुसरोबाग पैलेस, कोठी शाहबाद, फराशखाना, गौखाना, पुरानी तहसील, मोटर गैराज की ऐसी तस्वीरें भी हैं, जो पहले कम ही देखी गई हैं। किले के अंदर एक ही तस्वीर में रंग महल, हामिद मंजिल और मछली भवन का दुर्लभ चित्र है।

दिलीप कुमार की सास नसीम बानो बढ़ाती थीं रामपुर नवाब की महफिल की शान

नवाब रजा अली खां गीत और संगीत के शौकीन थे। उनके दौर में कोठी खासबाग में देर रात तक संगीत की महफिल सजती थी। इसमें रामपुर की ही नहीं, बल्कि देशभर की जानी-मानी हस्तियां शामिल होती थीं। मशहूर फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार की सास नसीम बानो अपने दौर की पहली सुपरस्टार और ब्यूटी क्वीन थीं। उन्होंने करीब दो साल तक रामपुर में रहकर नवाब की महफिल की शान बढ़ाई। फिल्म अभिनेत्री निम्मी और गायिका अख्तरी बाई भी नवाब की महफिल में शामिल होती रहीं।

अदाकारों की थी बड़ी अहमियत

नवाबी दौर में रामपुर में अदाकारों की बड़ी अहमियत थी। नवाब की ओर से खुशी के मौके पर बड़ी-बड़ी महफिलें सजाई जाती थीं, जिसमें देशभर की नामचीन हस्तियां शामिल होतीं। कोठी खासबाग में संगीत हाल भी था। इसमें भी महफिल सजती थी, जब भी नवाब का मूड हुआ तब महफिल जम गई। रामपुर इतिहास के जानकारों का कहना है कि नवाब रजा अली खां संगीत के बहुत प्रेमी थे। उनके दौर में रामपुर घराने के संगीत को भी मजबूती मिली। देशभर के अदाकार रामपुर आते थे। यहां वह अपनी कला का प्रदर्शन करने के साथ ही सीनियर अदाकारों से सीखते भी थे। इसके लिए शहर में कई जगह क्लब और गेस्टहाउस बने थे।

अपने दौर की पहली महिला सुपरस्टार रही नसीम बानो बेहद खूबसूरत थीं। वह करीब दो साल तक रामपुर में रहीं। उनके ठहरने के लिए गेस्टहाउस में व्यवस्था की गई थी। वह महफिल में डांस करती थीं, लेकिन सिर्फ उस महफिल में जिसमें नवाब रजा अली खां और उनके खानदान के लोग होते थे। मशहूर फिल्म अभिनेत्री निम्मी भी कई बार रामपुर आईं और नवाब साहब की महफिल की शान बढ़ाई। निम्मी ने जहां नृत्य कर नवाब का दिल जीतने की कोशिश की। वहीं उस दौर की गायिका अख्तरी बाई ने भी गीत सुनाकर अपनी आवाज का जादू बिखेरा।

खुद भी गीत लिखते थे नवाब

नवाब रजा अली खां खुद भी गीत लिखते थे। उन्हें होली से विशेष लगाव था, इसलिए उन्होंने होली पर भी कई गीत लिखे। ब्रज भाषा में लिखे गए इन गीतों में हिंदी, उर्दू, फारसी के शब्दों को संजोया गया। रामपुर रजा लाइब्रेरी में मौजूद “संगीत सागर” में भी उनके होली गीतों का उल्लेख है। वह सभी धर्मों के त्योहारों में भी शामिल होते थे। उन्होंने होली गीत लिखकर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम की थी।

About Samar Saleel

Check Also

कांग्रेस रायबरेली और अमेठी सीट पर अब भी मौन, बैठक में नहीं हुई चर्चा, लग रही हैं कई तरह की अटकलें

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया भी पूरी हो ...