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स्वयं की प्रेरणा से समाज सेवा

लोग अनेक भ्रांतियों और गलत धारणाओं के कारण रक्तदान नहीं करते। व्यापक जागरूकता अभियान से इन पूर्वाग्रहों और भय को दूर करना होगा, जिससे लोग इसे घर में मनाए जाने वाले समारोहों के अवसर पर दान कार्य से जोड़ना चाहिए।

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल लोगों को समाज के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वाह की सदैव प्रेरणा देती है। उनका मानना है कि जिम्मेदार नागरिक समाज सेवा का भाव अवश्य होना चाहिए। वह दीक्षांत समारोहों में विद्यार्थियों को भी इसका सन्देश देती है। साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से भी सामाजिक गतिविधियों में योगदान का आह्वान करती है। इसके अलावा आनन्दी बेन स्वास्थ्य व सुपोषण कार्यक्रमों के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करती है।

इस क्रम में आनन्दी बेन ने प्लेटलेट्स दान को लेकर जागरूकता बढ़ाने की पर जोर दिया। कहा कि कैंसर, डेंगू आकस्मिक दुर्घटना व अन्य बीमारी से पीड़ित मनुष्य को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। प्लेटलेट्स मात्र पांच दिनों तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है। उसके बाद वह मरीज को चढ़ाने लायक नहीं होता है। इस दृष्टि से यह आवश्यक है कि प्लेटलेट्स डोनर का पंजीकरण किया जाए। ताकि, मरीज की जरूरत के अनुसार डोनर से प्लेटलेट्स दान कराया जा सके।

जानकारी के अभाव में लोग रक्त दान करने से डरते हैं। लोग अनेक भ्रांतियों और गलत धारणाओं के कारण रक्तदान नहीं करते। व्यापक जागरूकता अभियान से इन पूर्वाग्रहों और भय को दूर करना होगा, जिससे लोग इसे घर में मनाए जाने वाले समारोहों के अवसर पर दान कार्य से जोड़ना चाहिए।

आनंदीबेन पटेल राजभवन स्थित गांधी सभागार में डा राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ द्वारा आयोजित स्वैच्छिक प्लेटलेट दान जागरूकता शिविर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि खून देकर किसी की जिन्दगी बचाना सबसे महान काम है। दुनिया का कोई वैज्ञानिक ईश्वर प्रदत्त रक्त नहीं बना सकता है। जरूरत पड़ने पर एक इंसान का खून ही किसी दूसरे की जिन्दगी बचा सकता है। उन्होंने कहा कि रक्तदान एकदम सुरक्षित प्रक्रिया है, एक औसत वयस्क रक्तदान के बाद चौबीस से अड़तालीस घंटों में फिर से रक्त बना लेता है। एक स्वस्थ व्यक्ति वर्ष में चौबीस बार तक प्लेटलेट्स दान कर सकता है।

यदि प्रदेश की दस प्रतिशत जनता भी इस अभियान से जुड़ जाये तो हम इस क्षेत्र में देश में नम्बर बन स्तर पर होंगे। राज्यपाल ने अंगदान व क्षय रोग निवारण अभियान का भी उल्लेख किया। कहा कि इस माध्यम से भी जरूरतमंदों की बड़ी सेवा की जा सकती है। उन्होंने प्रत्येक वर्ष चौबीस मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस के संबन्ध में ध्यान आकर्षित किया। कहा कि हमारा देश वर्ष 2025 तक क्षय रोग से मुक्त भारत के निर्माण के लिए संकल्पित है। इसके प्रति भी जागरूक रहने की आवश्यकता है।

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