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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सम्मान

गणतंत्र दिवस भारत का अति महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है। इस अवसर पर देश का मुख्य समारोह नई दिल्ली के राजपथ पर आयोजित किया जाता है। इस पर देश दुनिया की नजर रहती है। इसमें भारत के शौर्य व संस्कृति का शानदार प्रदर्शन होता है। उत्तर प्रदेश की झांकी को लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया। दो वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश की झांकी को दूसरा स्थान मिला था। इस प्रकार वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल में लगातार तीसरी बार यह गौरव हासिल हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित परेड में उत्तर प्रदेश द्वारा प्रस्तुत एक जनपद एक उत्पाद एवं श्री काशी विश्वनाथ धाम विषयक झांकी को राज्य केन्द्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिलने पर प्रदेश की जनता को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश के सभी जनपदों के अपने विशिष्ट उत्पाद हैं। एक जनपद एक उत्पाद ओडीओपी योजना के माध्यम से इन विशिष्ट उत्पादों को प्रोत्साहन मिल रहा है। प्रदेश में सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन की असीम सम्भावनाएं हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में उत्तर प्रदेश की झांकी को प्रथम पुरस्कार मिलने से जनपदों के विशिष्ट उत्पादों के साथ-साथ राज्य में सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। परेड के दौरान झांकी पर काशी का गौरव लौटा जब खुला भव्य गलियारा विश्वनाथ से मिलकर पुलकित है गंगा की धारा गीत का प्रसारण किया गया। गीतकार वीरेन्द्र वत्स के शब्दों को राजेश सोनी ने संगीतबद्ध किया और इसे मनीष शर्मा ने अपनी आवाज दी। झांकी में चरकुला आर्ट अकादमी मथुरा के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई। इस झांकी का निर्माण विविड इण्डिया द्वारा किया गया था।

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इस झांकी के माध्यम से लोगों ने एक जनपद एक उत्पाद एवं श्री काशी विश्वनाथ धाम की झलक नई दिल्ली के राजपथ पर देखी। देश दुनिया में लोगों ने ऑनलाइन इसका अवलोकन किया। यह झांकी प्रदेश के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रस्तुत की गयी थी। वर्ष 2021 में भी उत्तर प्रदेश की झांकी को प्रथम पुरस्कार मिला था। जबकि वर्ष 2020 में द्वितीय पुरस्कार मिला था। इसके पहले 1789 में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने कराया था। महाराजा रणजीत सिंह ने 1836 में सोने का छत्र बनवाया था। लगभग ढ़ाई सौ साल बाद नरेन्द्र मोदी व योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से यह स्थल भव्य दिव्य रूप में प्रतिष्ठित हुआ। यहां देश ही नहीं विदेशों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते रहे है। विश्वनाथ गली और मंदिर परिक्षेत्र के छोटे बड़े मंदिरों में स्थापित विग्रहों, दुर्लभ मूर्तियों को विघ्वंस कर उन्हें मकानों की दीवार में छिपा दिया गया था। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले काशी में कहा था कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है।

प्रतीकात्मक रूप से बात सही सिद्ध हुई। नरेंद्र मोदी यहां से एमपी व देश के पीएम बने। इधर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। गंगा मैया शिव जी के धाम तक पहुंच गई। श्री विश्वनाथ मंदिर को संकरी गलियों से मुक्त कर पुरातन धार्मिक स्वरूप प्रदान किया गया। श्री काशी विश्वनाथ धाम से मां गंगा भी एकाकार हो गई है।

श्री विश्वनाथ धाम से मां गंगा और गंगा तट से मंदिर का स्वर्ण शिखर स्पष्ट दिखाई देने लगा है।प्रधानमंत्री बनने से पहले कहा गया नरेंद्र मोदी का कथन फलीभूत हुआ। सेक्यूलर सियासत के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वाभिमान के विषयों को साम्प्रदायिक माना जाता है। इसके तहत आस्था के स्थलों को यथास्थिति में ही सदियों तक स्वीकार कर लिया गया। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से राष्ट्रीय स्वाभिमान को स्थापित किया गया। श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य व श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकर्पण इसका प्रमाण है। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हजार वर्षाें से काशी को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।

ढाई सौ वर्ष पहले इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बाबा विश्वनाथ की पुनर्स्थापना में महती योगदान दिया। महाराजा रणजीत सिंह ने मन्दिर को स्वर्णमण्डित कराया। ग्वालियर की रानी ने भी मन्दिर में अपना योगदान किया। अब नरेंद्र मोदी द्वारा द्वारा काशी विश्वनाथ धाम का यह भव्य स्वरूप साकार हुआ है। भारतीय संस्कृति एवं परम्परा को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। बाबा विश्वनाथ धाम की पुनर्स्थापना,अयोध्या में भगवान श्रीराम के मन्दिर के निर्माण की प्रगति आदि भारतीय सनातन मूल्यों,सभ्यता और संस्कृति को वैश्विक मंच पर पुनर्स्थापित करने का अभियान है।

इस अभियान के अंतर्गत योग की परम्परा तथा कुम्भ को दुनिया की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की भांति दुनिया में प्रतिष्ठित हुआ। गंगा जी की स्वच्छता के लिए उत्तराखण्ड से लेकर बंगाल तक प्रयास चल रहे हैं। नमामि गंगे अभियान की सफलता के लिए सजग होकर काम करते रहना होगा।

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