तीन दिनों से लगातार बारिश होने की वजह से कोसी और सीमांचल में बहने वाली सभी छोटी-बड़ी नदियां उफना गयी हैं। कोसी नदी का जलस्तर शुक्रवार सुबह 8 बजे बढ़ते हुए क्रम में 1 लाख 83 हजार 965 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया। जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए चीफ इंजीनियर ने कोसी के सभी इंजीनियरों को सतर्क कर दिया है।
सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार के कई गांवों में पानी घुस गया है। लोग ऊपरी जगह की ओर पलायन करने लगे हैं। पूर्णिया में महानंदा, कनकई एवं परमान नदी खतरे के निशान के ऊपर बहने लगी है जिससे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। बायसी अनुमंडल क्षेत्र के बनगामा पंचायत के बनगामा हाट से मजलीसपुर को जोड़ने वाली सड़क पर एक फीट से अधिक पानी सड़क पर बहने लगा है।
वहीं बांका में एक बार फिर पंजवारा स्थित चीर नदी पर बना डायवर्सन पानी के तेज बहाव में शुक्रवार देर रात बह गया। जिससे इस मार्ग पर आवागमन बंद हो गया। डायवर्सन टूटने से एक बार फिर बिहार का झारखंड और बंगाल से सीधा सड़क संपर्क भी टूट गया है। बीते सप्ताह भी पानी के तेज बहाव में डायवर्सन बह गया था। जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों से आ रहे पानी से नदी के जलस्तर में आगे भी बढ़ोतरी होने की आशंका को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया गया है। तटबंधों की सुरक्षा को निगरानी बढ़ा दी गयी है। तटबंधों के दायरे में नदी के पेटी में बहने के कारण खतरे की आशंका नहीं है। लेकिन नदी का पानी फैलने लगा है। कमला नदी पर बने वीयर के निकट निर्माणाधीन बराज के चारों तरफ पानी ही पानी दिखता है।
उधर नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश से मधुबनी के जयनगर में कमला नदी फिर उफान मार रही है। पिछले 24 घंटे में जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी से नदी का पानी खतरे के निशान को पार कर गया है। शुक्रवार को कमला नदी खतरे के निशान से 35 सेमी ऊपर बह रही थी। वहीं, सीतामढ़ी जिले की नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़-घट रहा है। बागमती और लखनदेई नदी में जलस्तर बढ़ा रहा है।