लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अंकुर सक्सेना ने कहा कि प्रदेश में अधिवक्ता समाज के विरुद्ध बढ़ते अपराध एवं कोरोना काल में अधिवक्ता हित में सरकार द्वारा कोई निर्णय न लिए जाने के कारण अधिवक्ताओं को भारी मानसिक एवं आर्थिक कष्टों से गुजरना पड़ रहा है। राष्ट्रीय लोक दल द्वारा इस संबंध में समय-समय पर सरकार से अधिवक्ता हित में तत्काल निर्णय लिए जाने की मांग की गई, परंतु सरकार द्वारा उन मांगों को अनसुना किये जाने के कारण अधिवक्ता वर्ग में घोर निराशा एवं रोष व्याप्त है।
उन्होंने कहा, रालोद द्वारा एक बार पुनः सरकार से मांग की जाती है कि अधिवक्ता हित में तत्काल एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाये, कोरोना काल में अधिवक्ताओं के लिए आर्थिक पैकेज जारी किया जाये, अधिवक्ताओं के लिए सरकारी अस्पतालों में दवा काउंटरों पर विशेष व्यवस्था की जाये, रेलवे रिजर्वेशन में डॉक्टरों की भांति आरक्षण में प्राथमिकता दी जाये, अधिवक्ताओं के लिए टोल फ्री किया जाये, नवागंतुक अधिवक्ताओं के लिए 2 साल तक रू 5000-मासिक मानदेय की व्यवस्था की जाए एवं 60 साल की आयु पूर्ण कर चुके अधिवक्ताओं के लिए पेंशन की व्यवस्था की जाये, बैंकों द्वारा अधिवक्ताओं को लोन एवं क्रेडिट कार्ड की सुविधा न देने एवं अनियमित रुप से ब्लैक लिस्ट में डालने के विरुद्ध संबंधित बैंकों को दिशा निर्देश जारी किए जाएं एवं दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाये।
श्री सक्सेना ने कहा कि यदि शीघ्र ही सरकार ने अधिवक्ताओं के हितों के लिए कोई ठोस कदम न उठाये तो रालोद विधि प्रकोष्ठ द्वारा अधिवक्ता हित में मांगों के समर्थन में आगामी संविधान दिवस 26 नवंबर को राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश कार्यालय पर एक बड़े आन्दोलन की रूपरेखा तैयार की जायेगी।