रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने गुरुवार को चीन पहुंचे। वह चाहते हैं कि युक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए चीन का समर्थन करे। अपने इस कार्यकाल में यह पुतिन की पहली विदेश यात्रा है। मार्च में वह पुन: निर्वाचित हुए हैं। लगभग छह माह पहले भी वे चीन गए थे। रूस के राष्ट्रपति दो दिवसीय राजकीय यात्रा के लिए चीन गए थे। यूरोप के तीन देशों के दौरे से पिछले हफ्ते लौटे शी जिनपिंग ने मॉस्को के साथ बीजिंग के संबंधों, सस्ते रूसी ऊर्जा आयात और पावर ऑफ साइबेरिया पाइपलाइन के माध्यम से स्थित गैर शिपमेंट सहित विशाल प्राकृतिक संसाधन तक पहुंचने की आलोचना को खारिज किया।
वहीं रूसी राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि पुतिन की चीन यात्रा चीन-रूस संबंध को बढ़ाना है। हालांकि दोनों ही नेताओं ने स्पष्ट रूप से मित्रता के बारे में बात नहीं की है। उन्होंने बताया कि दोनों ही नेता मुलाकात पर व्यापक साझेदारी और रणनीतिक साझेदारी पर बात करना चाहते हैं। एक ओर चीन यूक्रेन संघर्ष में एक तटस्थ पक्ष होने का दावा करता है। वहीं दूसरी ओर बीजिंग में विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेता “द्विपक्षीय संबंधों, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और आम हित के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों” पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
क्रेमलिन ने कहा, दोनों नेता वार्ता के बाद एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं, और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के अवसर पर एक शाम में भाग लेंगे। पुतिन ने अपनी यात्रा से पहले एक साक्षात्कार में यूक्रेन संकट को हल करने में मदद करने के लिए बीजिंग की इच्छा की सराहना की थी। पुतिन चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से भी मिलेंगे। साथ ही व्यापार और निवेश प्रदर्शनी के लिए पूर्वोत्तर शहर हार्बिन की यात्रा करेंगे। दरअसल पश्चिम में आर्थिक साझेदारी जांच के दायरे में आ रही है। चीनी बैंकों को अमेरिका के प्रतिबंधों का डर है। क्योंकि उन्हें वैश्विक वित्तीय प्रणाली से अलग किया जा सकता है। उन्होंने रूसी व्यवसायों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।