इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने के खिलाफ डाली गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को एक नोटिस जारी किया है. इलाहाबाद हेरिटेज सोसाइटी द्वारा दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति बीआर गवई और सूर्यकांत की खंडपीठ द्वारा नोटिस जारी किया गया. इस महीने की शुरुआत में जस्टिस अशोक भूषण ने दलील सुनने से इनकार कर दिया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी और शहर के कुछ निवासियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अवकाश याचिका दायर की गई थी. इससे राज्य मंत्रिमंडल द्वारा एक प्रस्ताव पारित करने के बाद अक्टूबर 2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित कई लोगों ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का विरोध किया था.
ऐतिहासिक तथ्यों में पाया जाता है कि 16वीं शताब्दी के मुगल बादशाह अकबर ने गंगा और यमुना के संगम के पास एक किले का निर्माण करवाया था और इसे ‘इलाबाद’ नाम दिया गया था. उनके पोते शाहजहां ने पूरे शहर का नाम बदलकर ‘इलाहाबाद’ रख दिया. नदी के संगम के पास का एक क्षेत्र प्रयाग के रूप में जाना जाता है.
जब यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज रखा उस वक्त उन्होंने पत्रकारों से कहा “प्रयाग वह जगह है जहां भगवान ब्रह्मा ने पहला यज्ञ किया था. दो नदियों का संगम एक’ प्रयाग है और इलाहाबाद में तीन नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं”.