लखनऊ। गीता जयन्ती महोत्सव के उपलक्ष्य में योग तथा वैकल्पिक चिकित्सा संकाय लखनऊ विश्वविद्यालय के पतंजलि सभागार में विशिष्ट जनों की उपस्थिति में गीता जयन्ती के पूर्व में साप्ताहिक महोत्सव के रूप में मनाया। गीता पर विद्वानों का उद्बोधन एवं गीता क्विज़ एवं भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई।
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योग संकाय एवं आर्यावर्त सिद्धान्त संरक्षक न्यास तथा कंचनकाया योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में युवाओं को गीता ज्ञान से जोड़ने तथा समाज को गीतागत सिद्धान्तों को आत्मसात कराने हेतु यह गीता जयन्ती के पूर्व कार्यक्रम आयोजित हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में वाचस्पति आचार्य दीनदयाल मणि त्रिपाठी (संस्थापक आदि शंकर वैदिक विद्या संस्थान) ने आतिथ्य स्वीकार करते हुए समुपस्थित जन-मानस को गीता ज्ञान में वर्णित स्वानुष्ठित अनुभव पूर्ण विषयों को छात्रों एवं विशिष्ट जनों के समक्ष रखे।
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उन्होंने कहा कि गीता सम्पूर्ण विश्व का कल्याण प्रशस्त करने वाला ग्रन्थ है। वाराणसी से पधारे आर्यावर्त सिद्धांत संरक्षक न्यास के सचिव पं. रितेश दुबे अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि गीता वस्तुत: सम्पूर्ण मानव विकास का एक अपूर्व ग्रन्थ है जो ज्ञान का समुद्र स्वरूप है।जो व्यक्ति जिस शास्त्रज्ञान की अभिलाषा लेकर भगवती गीता के सम्मुख उपस्थित होता है उसे गीता जी उसी स्वरूप में अग्रसरित करती हैं।
योग संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो अशोक कुमार सोनकर अतिथियों का स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के संयोजक डा सत्येंद्र कुमार मिश्र ने गीता की उपादेयता रखते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने और एक विशिष्ट गीतानृत्य प्रस्तुति करवाने में संकाय की डा इशिता अरोड़ा ने पूरे मनोयोग से अपनी भूमिका का निर्वहन किया।
कार्यक्रम के दौरान विभाग के सभी शिक्षक डा सुधीर मिश्र, प्रियंका राय तथा शोभित सिंह, आदि सहित संकाय के विद्यार्थी तथा अन्य आमंत्रित अतिथि उपस्थित रहे। संभाषण प्रतियोगिता में लक्ष्मी रानी यादव प्रथम स्थान पर यशी गुप्ता द्वितीय स्थान पर तथा प्रीति तिवारी तृतीय स्थान पर रही।