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नवयुग कन्या महाविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन

लखनऊ। आज नवयुग कन्या महाविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय इतिहास के पन्नो में सम्राट विक्रमादित्य रहा। जिसमेें संजय (मुख्य वक्ता), प्रभात रंजन दीन (मुख्य अतिथि), डाॅ गिरीश गुप्ता ने विशिष्ट अतिथि के रूप में सहभागिता की एवं प्राचार्य प्रो मंजुला उपाध्याय ने अध्यक्षता की।

नवयुग कन्या महाविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन

एक दिवसीय संगोष्ठी मुख्यवक्ता के रूप मे अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के सह संगठन मंत्री संजय का सम्मान प्राचार्य प्रो मंजुला उपाध्याय ने शाल एवं पौधा भेंट करके किया। संजय लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं, आपका विचार है कि क्षेत्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति से कई अनुसंधान शेष है। इसके लिए अभी और भी जानकारी संकलित की जानी शेष हैं।

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राष्ट्र के गौरव के निर्माण मे क्षेत्र विशेष के सामान्य लोगो के योगदान को भी लिपिबद्ध किया जाना चाहिए। विक्रमादित्य पर 962 दिगम्बर जैनो की पुस्तकें उपलब्ध है उन्होंने ने उज्जयिनी मंे 1964-65 में हुए उत्खनन कें रिर्पोट और उज्जैन से 35 किमी दूर जल के स्त्रोत से उपलब्ध विक्रमादित्य के अभिलेख भी चर्चा की।

नवयुग कन्या महाविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन

आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रभात रंजन दीन रहे। जिन्हें प्रोफेसर संगीता शुक्ला, विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व, नवयुग कन्या महाविद्यालय, लखनऊ पौधा एवं शाल भेंट करके सम्मान किया। यशप्रिया ने उनका परिचय देते हुए कहा कि प्रभात रंजन दीन ने पटना विष्वविद्यालय से एमए किया। उन्होंने महन्त अवैद्यनाथ से अपनी मुलाकात का संस्मरण बताते हुए कहा कि रामजन्म भूमि आन्दोलन राजनीति करने के लिये नहीं है वरन् यह सनातनों के दो विभाजित अंगो को सम्बद्ध करने की क्रिया रही है।

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राजा विक्रमादित्य द्वारा रामजन्म भूमि की तलाश से सम्बन्धित कथा का उल्लेख किया। उन्होंने छात्राओं से अर्जुन के समान जिज्ञासु एवं विद्वान बनने को प्रेरित किया। डाॅ गिरीश गुप्ता होमियोपैथी के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति लब्ध चिकित्सक हैं एवं वर्तमान में नववर्ष चेतना समिति के अध्यक्ष हैं।

उनके नेतृत्व में यह समिति लार्ड मैकाले की शिक्षण पद्धति से उत्पन्न भारतीय मूल्यों के प्रति गहन उदासीनता, आत्महीनता के अपराध-बोध से ग्रस्त भारतीय समाज में अपनी भारतीय संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन, अपनी गौरवशाली एवं परम वैज्ञानिक युगयुगीन कालजयी शाश्वत कालगणना के आधार पर पृथ्वी माता के जन्म दिवस एवं ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि रचना के दिवस चैत्र शुक्ल नवरात्रि प्रतिपदा को प्रतिवर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करती है।

नवयुग कन्या महाविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन

भारतीय कालगणना पर आधारित नवसंवत्सर के विषय में समाज को जाग्रत करने के निमित्त ‘‘नव चैतन्य’ स्मारिका का प्रकाशन करती है। डिग्री तथा तकनीकी महाविद्यालयों में विक्रम संवत की वैज्ञानिकता पर संगोष्ठियों का आयोजन करती है। अध्यक्ष डाॅ गिरीश गुप्ता ने महाविद्यालय के लाइब्रेरी को नव चैतन्य पत्रिका के 9 अंक तथा सम्राट विक्रमादित्य नामक पुस्तक भेट की।

यह समिति विक्रमादित्य विषय पर संगोष्ठी एवं विमर्श का आयोजन करती है। विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो संगीता शुक्ला ने बताया कि भारतवर्ष में विक्रमादित्य अत्यन्त प्रसिद्ध दानी, परोपकारी और सर्वांग-सदाचारी राजा हुए है। स्कन्द आदि पुराणों, बृहत्कथा और द्वात्रिंषत्पुत्तलिका, सिंहासनबत्तीसी, कथासरित्सागर, पुरूषपरीक्षा आदि ग्रन्थों में इनका चरित्र वर्णित है।

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इस अवसर पर विषम सेमेस्टर में विभाग द्वारा करायी गयी प्रतियोगिताओं की विजेताओं छात्राओं को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अन्त में प्राचार्या ने धन्यवाद ज्ञापन किया और इतिहास के अनसुलझें बिन्दुओं पर चर्चा करने के लिये मुख्य वक्ता को पुनः महाविद्यालय में पधारने का निवेदन भी किया। कार्यक्रम का अन्त राष्ट्रगान से हुआ।

विभाग की प्रवक्ता प्रो अम्बिका बाजपेयी एवं डाॅ आभा पाल ने विशिष्ट अतिथि एवं नववर्ष चेतना के समिति सचिव सुनील अग्रवाल को पौधा देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में प्रो संगीता कोतवाल, शर्मिता नन्दी, सृष्टि श्रीवास्तव सहित अजय सक्सेना, ओमप्रकाश पाण्डेय, अरुण मिश्रा, डाॅ निवेदिता रस्तोगी और डाॅ रश्मि श्रीवास्तव आदि सम्मिलत हुए।

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