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FATF की ग्रे लिस्ट में होने से पाकिस्‍तान को अब तक 38 अरब डॉलर का नुकसान

पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने के कारण करीब 38 अरब डॉलर (27,52,76,18,00,000 रुपये) का नुकसान उठाना पड़ा है। आतंकवाद के वित्तीय मदद पर निगाह रखने वाली इस वैश्विक एजेंसी ने पाकिस्तान को 2008 में ही ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। तब से पाकिस्तान आज तक इस लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिश में जुटा हुआ है। पाकिस्तान में 2008 से लेकर अब तक सत्ता में काबिज रहे अलग-अलग हुक्मरानों ने हर बार अपनी अवाम के सामने दावा किया है कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट के कारण उनके देश को कोई नुकसान नहीं हुआ है लेकिन पाकिस्तान के एक स्वतंत्र थिंकटैंक की इस रिपोर्ट ने सरकारी दावों की हवा निकालकर रख दी है।

आज भी ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान का निकलना मुश्किल

इस्लामाबाद स्थित तबादलाब नाम के स्वतंत्र थिंक-टैंक ने अपने रिसर्च पेपर में दावा किया है कि पाकिस्तान को वैश्विक राजनीति की कीमत चुकानी पड़ी है। पाकिस्तान के बड़े अर्थशास्त्री और इस थिंक टैंक के चीफ डॉ नफी सरदार ने कहा कि आज यानी गुरुवार को पेरिस में खत्म होने वाली एफएटीएफ की बैठक में भी पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर होने की संभावना कम ही है।

पाकिस्तान ने तीन बिंदुओं पर नहीं किया कोई काम

सूत्रों के अनुसार एफएटीएफ पाकिस्तान को अभी भी टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप पूरी तरह काम न करने के लिए ग्रे लिस्ट में बनाए रख सकती है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान को कम से कम तीन बिंदुओं पर और अधिक काम करने की आवश्यक्ता है। हालांकि, पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय ने दावा किया है कि संभव है कि आज के बैठक में उसके देश को ग्रे लिस्ट से निकाल दिया जाए।

ऐसे की गई पाकिस्तान हो हुए नुकसान की गणना

तबादलाब ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2008 से 2019 तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने के कारण 38 अरब डॉलर के जीडीपी का नुकसान हुआ है। इस नुकसान का आंकलन खपत व्यय (consumption expenditures), निर्यात (exports) और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (foreign direct investment) (एफडीआई) में आई कमी के आधार पर की गई है।

प्रतिबंधों में मिली छूट तो चमकी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था

रिसर्चर्स ने दावा किया है कि जब-जब पाकिस्तान को एफएटीएफ ने प्रतिबंधों में छूट दी है, तब-तब देश की जीडीपी में वृद्धि देखी गई है। 2017 और 2018 के लिए जीडीपी के स्तर में वृद्धि से यह दावा साबित भी होता है। इसके अलावा 2010, 2011 और 2016 में पाकिस्तान को हुए आर्थिक नुकसान भी दिखाया गया है।

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