यूक्रेन पर रूस के लगभग 75 मिसाइलें दागने के बाद यूक्रेन संकट के एक नए और ज्यादा खतरनाक मुकाम पर पहुंच गया है। इसके यहां से और भड़कने का अंदेशा जताया जा रहा है।जब से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा है, तबसे ही दुनिया भर में खलबली मची हुई है.
जंग में कूटनीतिक रूप से कुछ देश यूक्रेन का तो कुछ रूस के साथ देते हुए नजर आ रहे हैं, तो वहीं भारत समेत कई देश ऐसे भी हैं.इसके पहले अगस्त में मास्को में हुई एक आतंकवादी कार्रवाई में उग्र राष्ट्रवादी रूसी विचारक एलेक्जेंडर दुगिन की हत्या हुई थी।
इसके लिए भी यूक्रेन को दोषी माना गया था।अमेरिका से तनातनी रखने वाले चीन का झुकाव जाहिर तौर पर रूस की ओर है तो भारत और पाकिस्तान किसी भी एक पक्ष में न होने की बात कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एससीओ मीटिंग में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध को खत्म करने की अपील भी कर चुके है।
विश्लेषकों ने कहा है कि हाल में यूक्रेन की सेना ने खारकिव, दोनेत्स्क और खेरसोन इलाकों में अच्छी सफलता हासिल की। उन जगहों से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा। इससे पश्चिमी मीडिया में जश्न का माहौल देखा गया।
पश्चिमी विशेषज्ञों ने इसे रूस की संभावित हार का संकेत बताया। इसी बीच रूस की मूल भूमि को क्राइमिया से जोड़ने वाले पुल पर विस्फोट की घटना हुई। यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस के खिलाफ अमेरिका और यूरोपीय देश कड़े कदम उठा रहे हैं. युद्ध की वजह से ही रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए जा चुके हैं।