लखनऊ। समाज में सियासत के जरिए मुहब्बत, अमन और इंसानियत का पैगाम देने वाले सोशलिस्ट लीडर सगीर अहमद मुल्क के उन गिने चुने राजनेताओं में शामिल रहे हैं। सगीर साहब आचार्य नरेंद्र देव के बड़े प्रशंसक थे। वे उनके समाजवादी विचारों से पूरी तरह से इत्तेफाक रखते थे। उन्हें लगता था कि समाजवाद ही देश में समानता और सम्पन्नता लाएगा। वह एक सच्चे वतनपरस्त और सेक्युलर इंसान थे। उनकी दोस्ती का दायरा काफी बड़ा था, नारायण दत्त तिवारी, चंद्रशेखर, जॉर्ज फर्नांडिस, गौरी शंकर राय, बनारसी दास, रियासत हुसैन आदि उनके सबसे करीबी दोस्तों में शामिल थे।
यह बात नगर के गाँधी भवन स्थित में गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट के तत्वावधान में सगीर अहमद की 87वीं जयंती पर आयोजित सभा की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने कही। इस मौके पर स्व. सगीर अहमद के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
श्री शर्मा ने बताया कि सगीर अहमद का जन्म उस वक्त हुआ जब देश अंग्रेजों का गुलाम था। पराधीन भारत में उन्होंने छात्र जीवन से ही समाजवाद के जरिए समाज में अलख जगानी शुरू की। उनके अंदर एक रचनात्मक बेचैनी नौजवानी से ही थी। वे भी देश के लिए कुछ करना चाहते थे। जो उस वक्त सचमुच एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, पर उन्होंने यह चुनौती स्वीकार की और जिंदगी के आखिर तक समाजवाद को जीने का सहारा बनाया।
समाजसेवी विनय कुमार सिंह ने कहा कि, “एक राजनेता के तौर पर सगीर अहमद की समाजवादी विचारक की भूमिका और दूरदर्शिता का कोई सानी नहीं है।” अपने विचारों से उन्होंने समाजवादी विचारधारा को लोगों तक पहुंचाया। सगीर अहमद की समाजवादी विचारधारा में गहरी आस्था थी। उन्होंने तमाम दुख-परेशानियां और खतरे झेलते हुए समाजवाद को अपनी जिंदगी में भी ढालने की कोशिश की। वह दूसरों के लिए जीने में यकीन करते थे। समाजवाद उनके जीने का सहारा था और आखिरी समय तक उन्होंने इस विचार से अपनी आस नहीं छोड़ी।
इस अवसर पर खास तौर पर मौजूद रिज़वान रज़ा ने बताया कि आत्मीयता, औपचारिकता से परहेज, नियमितता और साफगोई, सगीर साहब के स्वभाव का हिस्सा थे। विनम्रता उनकी शख्सियत को संवारती थी। ऐसे में सगीर साहब के साथ जुड़ाव का फायदा यह हुआ कि मुझे उनकी उस शख्सियत को जानने का मौका मिला जो राजनेता के आवरण में ढकी रहती थी। तरक्कीपसंद तहरीक का सगीर साहब के विचारों पर काफी असर रहा। इस मौके पर प्रमुख रूप सेसमाजसेवी उमानाथ यादव, धनञ्जय शर्मा, हमायूं नईम खान, पाटेश्वरी प्रसाद, मृत्युंजय, अशाके शुक्ला, सत्यवान वार्मा, ज्ञान शंकर तिवारी, पी.के. सिंह, शिवा शर्मा सहित कई लोग मौजूद रहे।
शाश्वत तिवारी