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…तो साइकिल से ही शुरु कर दिया आशियाने का सफर

रायबरेली। इरादे मजबूत हो तो मुश्किल भी आसान नजर आती है। कुछ इसी तरह के बुलंद हौसले के साथ सड़क मार्ग से हरियाणा से दो दर्जन श्रमिक परेशानियों की परवाह किये बिना साइकिल से चल पडे हैं। 5 दिन पहले निकले  परदेशी बैजनाथ, साजन, पुरोहित, बालवीर, नंदू, भम भम आदि लोगो को अपने गांव रिदिया दिनारी, जनपद जम्मू (बिहार) जा रहे हैं। गुरुवार को लखनऊ-प्रयागराज मार्ग पर सफर कर रहे परदेसी  कस्बा में थकान थकान मिटानेने के लिए रुक गए।

युवा समाजसेवी उबैद अली ने आनन-फानन लइया, चना, बिस्कुट, पानी की व्यवस्था की। उधर जानकीपुरम लखनऊ से लोक प्रकाश, अपनी पत्नी सविता और लगभग 5 वर्षीय पुत्र रितेश, राजू अपनी पत्नी उर्वशी व पुत्री खुशी, दीपेश, योगेंद्र, मुरारी साइकिल से ग्राम किशनगढ़, जनपद कबीरधाम (छत्तीसगढ़) जाने के लिए बीती बुधवार की रात साइकिल से चले हैं।

यह लोग लखनऊ में मेहनत मजदूरी करते थे। इनमें से कई लोगों की साइकिलें अभी से धोखा देने लगी हैं। कठवारा चौराहा पहुंचने पर प्रधान प्रतिनिधि वीरेंद्र सिंह चौहान ने परदेसियों के खाने-पीने की व्यवस्था की। प्रवासियों को रास्ते में परेशानी न हो इसके लिए उन्हें हवा भरने के लिए एक नई पंप खरीदकर दी गई।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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