राजधानी दिल्ली में बुधवार को प्रदूषण का स्तर गंभीर कैटेगरी में पहुंच गया. राजधानी में प्रदूषण में बढ़ोत्तरी के लिए केवल पराली जलाना और गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ जिम्मेदार नहीं है. प्रदूषण में बढ़ोत्तरी के लिए कई सारी वजहें संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं जिनमें सबसे बड़ा कारण मौसम के हालात हैं.
सामान्य तौर पर राजधानी और आसपास के इलाकों में ठंड के दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. अगर वाहनों का प्रदूषण, निर्माण कार्य और पराली जलाना प्रदूषण के लिए दोषी होता, तो शहर साल भर प्रदूषित रहता, लेकिन ऐसा नहीं है.
दिल्ली में प्रदूषण के स्तर के लिए हवा की दिशा काफी हद तक जिम्मेदार है. ठंड के दिनों में सामान्य तौर पर पश्चिम या उत्तर-पश्चिम की दिशा में बहती है. ऐसे में जब पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में पराली जलाई जाती है तो हवा अपने साथ प्रदूषण लेकर आती है.
दिल्ली में जल निकायों या जंगलों के अभाव की वजह से भी प्रदूषण बढ़ता है. पड़ोसी राज्यों से हवा में मिलकर प्रदूषण बिना किसी रुकावट के राजधानी में आ जाता है और लंबे समय तक बना रहता है.
दिल्ली में ठंड के दिनों में तापमान में बदलाव की वजह से भी प्रदूषण स्तर पर असर पड़ता है. सामान्य तौर पर ठंड के दिनों में तापमान नीचे जाता है. इस दौरान हवा भी काफी ठंडी रहती है जो कि धुंआ के कणों से मिलकर भारी हो जाती है. इससे प्रदूषण लंबे समय तक वायुमंडल में बना रहता है.
देश के जाने-माने पर्यावरणविदों के मुताबिक दिल्ली का प्रदूषण, विभिन्न सरकारों और सरकारी एजेंसियों द्वारा पर्यावरण नियमों की अनदेखी के कारण बढ़ रहा है. सांस के रोगी, बुजुर्ग, बच्चे और गर्भवती महिलाएं इस वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित हैं. देश के जाने-माने पर्यावरणविद् विमलेंदु झा के मुताबिक प्रदूषण बढ़ने के बाद सरकारें एक्टिव होती हैं. सालभर कुछ नहीं होता. दिल्ली का प्रदूषण, सरकार और विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा पर्यावरण नियमों की अनदेखी के कारण बढ़ रहा है.
बता दें कि बुधवार को दिल्ली के वजीरपुर इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स 399 तक पहुंच गया. वहीं जहांगीरपुरी में यह 383 रहा. बवाना में एयर क्वालिटी इंडेक्स 392 और रोहिणी में 391 है.