ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट (जीटीएस) का बुधवार को नई दिल्ली में समापन हुआ, जिसमें भारत और दुनिया भर से नीति निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, टेक्नोक्रेट और इनोवेटर्स सहित हजारों प्रतिभागी शामिल हुए।
समिट में नई एवं उभरती टेक्नोलॉजी, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे एवं इनोवेशन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित ‘क्रॉस-कटिंग’ नीतिगत मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। शिखर सम्मेलन में भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र के छात्रों और युवा पेशेवरों (जीटीएस यंग एंबेसडर) की भी भागीदारी देखी गई।
जीटीएस जियोटेक्नोलॉजी को लेकर भारत की ओर से आयोजित किया जाने का एक प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है, जिसकी सह-मेजबानी विदेश मंत्रालय और कार्नेगी इंडिया की ओर से की जाती है। साल 2016 से यह प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष के 8वें शिखर सम्मेलन का विषय ‘प्रौद्योगिकी की भू-राजनीति’ रहा।
तीन दिवसीय समिट का उद्घाटन सत्र सोमवार को विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर के संबोधन के साथ शुरू हुआ। उन्होंने कहा प्रौद्योगिकी को लेकर सबसे बड़ी चुनौती केवल इसे प्रतिस्पर्धी बनाना नहीं, बल्कि पूरी जिम्मेदारी के साथ प्रतिस्पर्धी बनाने के उपाय तलाशना है। प्रौद्योगिकी भारत की विदेश नीति में अग्रणी स्थान पर है। जी20 नई दिल्ली समिट को डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किए जाने के कारण याद रखा जाएगा।
समिट को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा वर्तमान समय में जिस प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां हम अपने आसपास देख रहे हैं, उसमें टेक्नोलॉजी का रोल डिफेंस सेक्टर में और भी ज्यादा बढ़ जाता है। पिछले एक-दो साल में जिस तरह के हालात उत्पन्न हुए हैं, चाहे वह रूस-यूक्रेन जंग हो या इजरायल-हमास संघर्ष, दोनों ही संघर्षों में जिस तरह से टेक्नोलॉजी ने एक गेम चेंजर की भूमिका निभाई है, वह किसी से छिपा नहीं है।
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सम्मेलन में विदेश राज्य मंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह ने ‘मानव संसाधनों को भविष्य के लिए तैयार करना’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी